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Hanuman Ji Puja: ऐसे करें हनुमानाष्टक का पाठ, मिलेगी समस्त कष्टों से मुक्ति

Hanuman Ji Puja मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि जो लोग मंगलवार के दिन रामभक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं उनका जीवन हमेशा कष्टों से मुक्त रहता है। ऐसे में हनुमान भक्तों को इस शुभ दिन का उपवास अवश्य ही रखना चाहिए। साथ ही सुबह स्नानादि करके बजरंगबली के मंदिर जाना चाहिए।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Tue, 05 Dec 2023 07:00 AM (IST)
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Hanuman Ji Puja: हनुमानाष्टक के पाठ का महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Ji Puja: मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि मंगलवार के दिन रामभक्त हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। ऐसे में हनुमान भक्तों को इस विशेष दिन का उपवास अवश्य ही रखना चाहिए। साथ ही सुबह स्नानादि करके बजरंगबली के मंदिर जाना चाहिए।

मान्यता है कि जो लोग हनुमान जी को लांल रंग का चोला चढ़ाते हैं और हनुमानाष्टक का पाठ करते हैं उन्हें जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आइए यहां पढ़ते हैं हनुमानाष्टक -

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॥ हनुमानाष्टक ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी बिनती तब,

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि साप दियो तब,

चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के सोक निवारो ॥॥

अंगद के संग लेन गए सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब,

राक्षसी सों कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाए महा रजनीचर मरो।

चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥॥

बान लाग्यो उर लछिमन के तब,

प्राण तजे सूत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।

आनि सजीवन हाथ दिए तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥॥

रावन जुध अजान कियो तब,

नाग कि फाँस सबै सिर डारो।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो ।

आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ॥

बंधू समेत जबै अहिरावन,

लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥॥

काज किये बड़ देवन के तुम,

बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसे नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होए हमारो ॥॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,

अरु धरि लाल लंगूर।

वज्र देह दानव दलन,

जय जय जय कपि सूर ॥

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'