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Hanuman Ji Pujan: इस विधि से करें हनुमान जी की पूजा, मनचाही इच्छाएं होंगी पूर्ण

शनिवार का दिन परेशानी से छुटकारा पाने के लिए बेहद विशेष है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी (Hanuman Pujan) की पूजा करने से जीवन में खुशियां आती है। साथ ही उनकी पूर्ण कृपा बनी रहती है। ऐसे में शाम के समय स्नानादि करने के बाद बजरंगबली के किसी भी मंदिर जाएं। उन्हें लाल रंग का चोला अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर हनुमानाष्टक का पाठ करें।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 02 Mar 2024 08:11 AM (IST)
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Hanumanashtak Ka Patha: हनुमानाष्टक का पाठ -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanumanashtak Ka Patha: शनिवार के दिन भगवान हनुमान और शनिदेव की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन कष्टों से निजात पाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन रामभक्त हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में बरकत आती है। साथ ही उनकी पूर्ण कृपा बनी रहती है।

ऐसे में सुबह या फिर शाम स्नानादि करने के बाद बजरंगबली के किसी भी मंदिर जाएं। उन्हें लाल रंग का चोला अर्पित करें। इसके बाद लड्डू का भोग लगाएं। फिर दीपक जलाकर हनुमानाष्टक का पाठ करें। इस उपाय को 7 शनिवार करें। ऐसा करने से आपकी मनचाही इच्छा पूर्ण हो जाएगी। तो आइए यहां पढ़ते हैं हनुमानाष्टक -

॥ हनुमानाष्टक ॥

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी बिनती तब,

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि साप दियो तब,

चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के सोक निवारो ॥॥

अंगद के संग लेन गए सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब,

राक्षसी सों कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाए महा रजनीचर मरो।

चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥॥

बान लाग्यो उर लछिमन के तब,

प्राण तजे सूत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।

आनि सजीवन हाथ दिए तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥॥

रावन जुध अजान कियो तब,

नाग कि फाँस सबै सिर डारो।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो ।

आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ॥

बंधू समेत जबै अहिरावन,

लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥॥

काज किये बड़ देवन के तुम,

बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसे नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होए हमारो ॥॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे,

अरु धरि लाल लंगूर।

वज्र देह दानव दलन,

जय जय जय कपि सूर ॥

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।