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Hariyali Amavasya 2024: हरियाली अमावस्या के दिन करें पितरों की विशेष पूजा, कुंडली से समाप्त होगा पितृ दोष

हरियाली अमावस्या इस साल 02 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन का बड़ा ही महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह तिथि पितृ देवता की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस अवसर पर भक्तिभाव के साथ पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से हमेशा - हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। साथ ही गृह क्लेश भी समाप्त होता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 26 Jul 2024 08:30 AM (IST)
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Hariyali Amavasya 2024: पितृ कवच और स्तोत्र का पाठ -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अमावस्या का दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन धार्मिक कार्य करने का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस महत्वपूर्ण दिन का व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा-पाठ, दान-पुण्य करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही घर की दरिद्रता और रोग-दोष का भी नाश होता है। वहीं, इस दिन पितरों तर्पण का भी खास महत्व है। कहा जाता है कि इस तिथि पर पितरों के तर्पण के साथ पितृ कवच और स्तोत्र का पाठ करना भी परम फलदायी माना गया है,

क्योंकि यह समय पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya 2024) 02 अगस्त, 2024 को मनाई जाएगी।

।।पितृ स्तोत्र।।

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।

सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् । ।

मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।

तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।

द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।

अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।

योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय: ।

जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।

नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

।।पितृ कवच।।

पितृ दोष निवारण के लिए इस कवच का रोजाना जाप करना चाहिए।

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

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