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Hariyali Amavasya पर जरूर करें इन पेड़-पौधों की पूजा, धन-धान्य से भरा रहेगा घर

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष महत्व दिया गया है। यह तिथि मुख्य रूप से पितरों के दान-तर्पण के लिए समर्पित मानी जाती है। सावन में आने वाली अमावस्या पर पितरों के साथ-साथ महादेव की आराधना करने का भी विधान है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 02 Aug 2024 11:22 AM (IST)
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Hariyali Amavasya पर जरूर करें इस पेड़-पौधों की पूजा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन माह में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में जाना जाता है। हरियाली अमावस्या को बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही इस अमावस्या पर पेड़-पौधे लगाने का भी विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में आप हरियाली अमावस्या पर दिव्य माने गए इन पेड़-पौधों की पूजा कर सकते हैं। इससे आपको जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त (Hariyali Amavasya 2024 Muhurat)

सावन माह की अमावस्या तिथि 03 अगस्त, 2024 को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 04 अगस्त, 2024 को दोपहर 04 बजकर 42 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, सावन की हरियाली अमावस्या रविवार, 04 अगस्त को मान्य होगी।

मां लक्ष्मी की बनी रहेगी कृपा

अमावस्या के दिन तुलसी पूजन का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में आप इस दिन तुलसी माता को लाल चुनरी जरूर अर्पित करें। इसके साथ तुलसी में कच्चा दूध अर्पित करें और शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाकर परिक्रमा करें। ऐसा करने से साधक को धन्य-धान्य की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।

कर सकते हैं ये काम

आप मां तुलसी की कृपा प्राप्ति के लिए अमावस्या तिथि पर एक पीले धागे में 108 गांठ लगाकर उसे तुलसी के गमले में बांध सकते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा आप अमावस्या पर तुलसी में लाल कलावा भी बांध सकते हैं। इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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जरूर करें ये काम

हरियाली अमावस्या तिथि पर पीपल के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस वृक्ष में देवताओं का वास होता है। ऐसे में यदि आप अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा कर उसमें जल अर्पित करते हैं, तो इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।