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Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज पर पूजा में शामिल करना न भूलें ये चीजें, वरना अधूरा रह जाएगा व्रत

हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा घर की सुख-शांति के लिए रखा जाता है। साथ ही महिलाएं ये व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए भी करती हैं। यह व्रत (Hartalika Teej 2024 Puja Vidhi) निर्जला रखने का विधान है। ऐसे में यदि आप चाहती हैं कि आपकी पूजा में कोई बाधा न आए तो ये जरूरी पूजा समग्री जरूर नोट कर लें।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 27 Aug 2024 04:37 PM (IST)
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Hartalika Teej Vrat Samagri List (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर भाद्रपद में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इसी तिथि पर महादेव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकारा था। ऐसे में यदि आप हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं, तो इन पूजा सामग्री को अपनी लिस्ट में शामिल करना न भूलें।  

हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej Puja Muhurat)

भाद्रपद की शुक्ल तृतीया तिथि 05 सितंबर, 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 06 सितंबर, 2024 को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर होने वाला है। उदया तिथि के मुताबिक, शुक्रवार, 06 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत किया जाएगा। इस दौरान पूजा का मुहूर्त ये रहने वाला है -

प्रातःकाल हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 02 से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक

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हरितालिका तीज पूजा सामग्री

  • भगवान शिव व माता पार्वती की मूर्ति
  • घी, दीपक, अगरबत्ती और धूपबत्ती
  • पान, बाती और कपूर
  • सुपारी, साबुत नारियल, चंदन
  • भोग के लिए केले
  • कलश, आम के पत्ते, केले के पत्ते, धतूरा, फूल, बेल के पत्ते और एक चौकी, शमी के पत्ते
  • 16 श्रृंगार की वस्तुएं जैसे काजल, कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, चूडियां और लाल चुनरी आदि
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हरितालिका तीज पूजा विधि

सर्वप्रथम हरितालिका तीज के दिन जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए और निर्जला व्रत का संकल्प लें। इस दिन हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां धारण करें। पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई के बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। अब इस चौकी पर भगवान शिव और माता की मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और उन्हें तिलक लगाकर दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र और माता पार्वती को श्रृंगार की साम्रगी अर्पित करें। अंत में शिव और पार्वती जी की आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।