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Havan से नकारात्मक शक्तियों का होता है नाश, जानें इसमें क्यों किया जाता है आम की लकड़ी का इस्तेमाल

सनातन धर्म में घर के शुद्धिकरण के लिए हवन (Havan ke Fayde) जरूरी माना गया है। धार्मिक मत है कि हवन करने से घर का वातावरण शुद्ध होता है और परिवार सदस्यों को देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है क्योंकि हवन में विशेष सामग्री को शामिल किया जाता है। आइए जानते हैं हवन में आम की लकड़ी का इस्तेमाल करने से कौन से लाभ प्राप्त होते हैं?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 22 Sep 2024 03:08 PM (IST)
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Havan Puja: हवन में होता है आम की लकड़ी का इस्तेमाल
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना साधक कई तरह से करते हैं। इसमें आरती करना, शंख बजाना और हवन आदि शामिल है। इन कार्यों को करने से साधक को देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। सनातन शास्त्रों में हवन का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक अनुष्ठान में हवन न करने से पूजा अधूरी मानी जाती है। इसमें विशेष सामग्री को शामिल किया जाता है, जिससे घर का वातारवरण शुद्ध होता है और घर में उत्पन्न नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। क्या आपको पता है कि हवन में आम की लकड़ियों (Mango Wood Importance) का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसकी वजह के बारे में विस्तार से।  

 

ये है वजह

  • धार्मिक मान्यता है कि सनातन धर्म में आम की लकड़ी को उर्वरता, पवित्रता और देवता का प्रतीक माना जाता है।  
  • माना जाता है कि हवन में आम की लकड़ी अर्पित करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है और मन को शांति प्राप्त होती है।
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  • विवाह के दौरान हवन में आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा करने से वर और वधु के जीवन में सुख-शांति व समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही वर और वधू को नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है।
  • बच्चे के नामकरण और मृत्यु के बाद किया जाने वाले हवन में आम की लकड़ी को शामिल किया जाता है, जिसकी वजह से घर का शुद्धिकरण होता है। इन्हीं सभी कारणों की वजह से हवन में आम की लकड़ी का प्रयोग विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है।

हवन में इन चीजों को करें शामिल

हवन में एक गोला या सूखा नारियल, लाल रंग का कपड़ा, हवन कुंड, सूखी लकड़ियां, आम की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, कलावा और चंदन की लकड़ी, शामिल किया जाता है। इसके अलावा काला तिल, कपूर, चावल, गाय का घी, लौंग, लोभान, इलायची, गुग्गल, जौ और शक्कर भी शामिल किया जाता है।  

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