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Bhadrapada Chaturthi 2024: भाद्रपद में कब है हेरम्ब संकष्टी और गणेश चतुर्थी, जानें डेट और शुभ मुहूर्त

सावन महीने की पूर्णिमा के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस माह में भगवान गणेश और भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ है। इसलिए भाद्रपद के महीने को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी (Heramba Sankashti Chaturthi 2024) और गणेश चतुर्थी का व्रत कब किया जाएगा?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 20 Aug 2024 05:59 PM (IST)
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Bhadrapada Chaturthi 2024: सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है चतुर्थी तिथि
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhadrapada Chaturthi 2024 Date: भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के लिए चतुर्थी तिथि को शुभ माना जाता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है। साथ ही जीवन के विघ्न से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की शुरुआत 20 अगस्त से हुई। वहीं, इसका समापन 18 सितंबर को होगा। इस दौरान भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष में हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। चलिए जानते हैं इन दोनों चतुर्थी व्रत की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Date Shubh Muhurat)

भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का प्रारंभ 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 23 अगस्त 2024 को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में भाद्रपद माह की हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी का व्रत गुरुवार 22 अगस्त को किया जाएगा।

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गणेश चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2024 Date Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 07 सितंबर को संध्याकाल 05 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 07 सितंबर को गणेश चतुर्थी बेहद उत्साह के साथ मनाई जाएगी।

चतुर्थी पूजा विधि (Chaturthi Puja Vidhi)

  • चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • इस दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
  • मंदिर की सफाई कर चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें।
  • इसके पश्चात फल, फूल, धूप समेत आदि चीजें अर्पित करें।
  • घी का दीपक जलाकर भगवान गणेश की आरती करें और मंत्रों का जप करें।
  • प्रभु से सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करें।
  • अब मोदक, फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
  • अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

इस मंत्र का करें जप

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।