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Hindu faith: किन लोगों के नहीं छुने चाहिए पैर, शास्त्रों में मिलता है वर्णन

हिंदू संस्कृति में बताया गया है कि हमेशा अपने बड़ों के पैर छूने चाहिए। यह बड़े-बुजुर्गों के प्रति अपना सम्मान प्रदर्शित करने का एक तरीका है। हिंदू धर्म में चरण स्पर्श करने का अपना एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी माना गया है। लेकिन वहीं कुछ लोगों के पैर छूने की मनाही होती है। चलिए जानते हैं वह लोग कौन-से हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 28 May 2024 04:18 PM (IST)
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Hindu faith इन लोगों को भूल से भी नहीं छूने दें अपना पैर।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hindu Rituals: हिंदू धर्म में माता पिता, गुरुजन और बड़े-बुजुर्गों के पैर छूने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। यह परम्परा व्यक्ति के संस्कारों को भी दर्शाती है। लेकिन शास्त्रों में वर्णन मिलता है, कि कुछ लोगों के पैर छूने या उनसे पैर छुआने से व्यक्ति को जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। चलिए जानते हैं इस विषय में। 

नहीं मिलता पूजा का फल

माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूजा-पाठ कर रहा है, तो इस दौरान उस व्यक्ति के पैर नहीं छूने चाहिए। वरना इससे पूजा में बाधा उत्पन्न हो सकती है। वहीं, मंदिर में भी किसी के पैर छूना सही नहीं माना जाता। क्योंकि मंदिर भगवान का स्थान होता है और यहां पर किसी के पैर छूने से मंदिर की पवित्रता भंग हो सकती है।

बन सकते हैं पाप के भागीदार

हिंदू धर्म में बेटियों को देवी का रूप माना जाता है। ऐसे में घर की बेटियों को गलती पैर नहीं लगाना चाहिए और नहीं उन्हें अपने पैर छूने देने चाहिए। माना जाता है कि कुंवारी कन्याओं से पैर छूने से व्यक्ति पाप का भागीदार बन सकता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मामा-मामी को अपने भांजा या फिर भांजी से भी चरण स्पर्श नहीं करवाने चाहिए।

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न छुएं इन लोगों के पैर

हिंदू धर्म यह माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति श्मशान घाट से लौट रहा है, तो उस व्यक्ति के पैर नहीं छूने चाहिए, चाहे वह आपसे बड़ा ही क्यों न हो। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। इसके साथ सोते हुए व्यक्ति के पर भी कभी नहीं छूने चाहिए।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।