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Vikram Samvat 2080: 22 मार्च से शुरू हो रहा हिंदू नव वर्ष, जानिए विक्रम संवत 2080 के बारे में खास बातें

Vikram Samvat 2080 हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास को आखिरी मास माना जाता है। इसके साथ ही चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के साथ नए साल की शुरुआत हो जाती है। जानिए हिंदू नववर्ष के बारे में खास बातें

By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghUpdated: Fri, 17 Mar 2023 08:29 AM (IST)
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Vikram Samvat 2080: जानिए विक्रम संवत 2080 के बारे में खास बातें
नई दिल्ली, Vikram Samvat 2080: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से होती है, लेकिन हिंदू कैलेंडर की बात करें, तो नए साल की शुरुआत मास के हिसाब से होती है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ नए साल की शुरुआत हो जाती है। इस साल हिंदू कैलेंडर के नए साल साल की शुरुआत 22 मार्च 2023 से हो रही है, जो हिंदू विक्रम संवत 2080 होगा। जानिए विक्रम संवत के बारे में कुछ खास बातें।

हिंदू कैलेंडर के आखिरी माह को फाल्गुन मास माना जाता है और इसके बाद के माह यानी चैत्र मास के साथ नया साल शुरू हो जाता है। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ नया विक्रम संवत शुरू हो जाता है।

कैसे शुरू हुआ विक्रम संवत?

हर किसी के दिमाग में ये बात जरूर आती होगी कि आखिर हिंदू नववर्ष के साथ विक्रम संवत भी क्यों आता है। बता दें कि इसका शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी। विक्रम संवत शुरू होते हा विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा को सभी कर्जों से मुक्त कर दिया था। नए विक्रम संवत को हर राज्य में अलग-अलग नाम से जाना जाता है।

हुई थी नए पंचांग के शुरुआत

माना जाता है कि चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि पर ही गणितज्ञ भास्कराचार्य ने वर्ष, नाह, सूर्योदय-सूर्यास्त आदि की रचना की थी। इसी के कारण इस दिन ही नए पंचांग की शुरुआत हुई थी। इसी पंचांग के आधार पर हिंदू धर्म में किसी भी शुभ या मांगलिक काम को किया जाता है।

हिंदू कैलेंडर में होते हैं पूरे 12 माह

बता दें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार पूरे 12 नाह होते हैं, जिन्हें चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन मास के नाम से जानते हैं।

ब्रह्मा जी ने की थी सृष्टि की रचना

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के साथ ही सृष्टि की रचना करना आरंभ किया था।

सतयुग का हुआ आरंभ

माना जाता है कि चार युगों में से एक सतयुग का आरंभ इसी मास से हुआ था। यह सृष्टि के कालचक्र का पहला दिन माना जाता है। बता दें कि चार युग क्रमश: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलयुग हैं।

मां दुर्गा के स्वरूप

चैत्र नवरात्रि के दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध करना शुरू किया था, जो चैत्र नवरात्रि के नवमी तिथि को समाप्त हुआ था। इसी कारण चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि आरंभ होते हैं, जो पूरे नौ दिनों तक चलते हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।

Pic Credit- Freepik

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