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Holi 2024: होली पर क्यों पी जाती है भांग? शिव जी से जुड़ा है इसका अस्तित्व

हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर देशभर में होली का पर्व बड़े ही जोश के साथ मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 25 मार्च सोमवार (Holi 2024) के दिन मनाई जाएगी। इसके साथ ही होली पर भांग पीने (Bhang on Holi) की भी परंपरा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि होली का भांग से क्या संबंध है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 22 Mar 2024 06:10 PM (IST)
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Holi 2024 होली पर क्यों पी जाती है भांग?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhang on Holi: हिंदू धर्म में होली का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। इसकी धूम न केवल भारत में, बल्कि अन्य देशों में भी देखने को मिलती है। यह पर्व मुख्य रूप से एक-दूसरे को रंग लगाकर मनाया जाता है। इसके साथ ही इस दौरान गुजिया और ठंडाई का सेवन भी किया जाता है। इसी तरह कई लोग होली पर भांग का भी सेवन करते हैं। होली पर भांग पीने के चलन के पीछे एक पौराणिक कथा भी मिलती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं वह पौराणिक कथा।  

यह है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप जो एक दैत्य था, उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। यह बात हिरण कश्यप को बिलकुल पसंद नहीं थी। तब प्रह्लाद की भक्ति को समाप्त करने के लिए हिरण्यकश्यप ने कई तरीके आजमाएं और प्रह्लाद पर कई अत्याचार भी किए, लेकिन प्रह्लाद ने अपनी भक्ति जारी रखी।

अंत में हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए विष्णु जी ने नरसिंह का रूप धारण किया और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। लेकिन हिरण्यकश्यप को मारने के बाद भी नरसिंह भगवान का गुस्सा शांत नहीं हुआ। तब भगवान शिव ने शरभ अवतार लेकर नरसिंह अवतार से युद्ध कर उन्हें परास्त किया। तब जाकर नरसिंह भगवान का क्रोध शांत शांत हुआ और नरसिंह भगवान ने अपनी छाल भगवान शिव को आसन के तौर पर भेंट की। इस जीत पर शिव भक्तों ने जश्न मनाया, और भांग का सेवन कर नृत्य किया। माना जाता है कि तभी से होली पर भांग पीने का चलन शुरू हो गया।

अन्य पौराणिक कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों में समुद्र मंथन हुआ था, जब मंथन के दौरान विष की भी उत्पत्ति हुई। तब इस विष के प्रभाव से देवताओं और दानवों में हाहाकार मच गया। तब शिव जी ने इस विष का पान किया और इस संसार को विनाश से बचाया। लेकिन यह विष इतना प्रभावशाली था कि इस विष के कारण शिव जी का कंठ नीला पड़ गया।

इस दौरान सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए एक युक्ति सोची। तब शिव जी पर भांग, धतूरा और जल अर्पित किया गया, क्योंकि भांग की तासीर ठंडी होती है। इससे भगवान शिव को विष की जलन से राहत मिली। तभी से होली पर भांग पीने का चलन शुरू हो गया।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'