Holi 2024: भगवान शिव से भी जुड़ा है होली का अस्तित्व, यहां जानिए कैसे?
होली हिंदुओं के सबसे खास त्योहारों में से एक है। इसका संबंध भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद से माना जाता है। साथ ही इस दिन को राधा-कृष्ण जी से जोड़कर भी देखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से भी है। चलिए जानते हैं कि कैसे होली का पर्व भगवान शिव से जुड़ा है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Holi 2024 Date: हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। ऐसे में इस साल होली का त्योहार 25 मार्च, 204 को मनाया जाएगा। दिवाली हिंदुओं की तरह ही होली भी हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। होली मनाने की भक्त प्रहलाद की पौराणिक कथा से तो आप सभी परिचित होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव से जुड़ी होली की कथा भी काफी प्रचलिता है। आइए जानते हैं शिव से जुड़ी होली का पौराणिक कथा।
यह है पौराणिक कथा (Holi Ki Katha)
पौराणिक नजरिए से देखा जाए तो, होली का पर्व भगवान शंकर से भी जुड़ा है। होली शिवरात्रि के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती, भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन शिव जी सदैव साधना में लीन रहते थे। तब कामदेव, शिव जी के अंदर काम वासना को जागृति करने के उद्देश्य से कैलाश गए। वहां उन्होंने भगवान शिव की साधना में भंग डाल दिया।
शिव जी को आया क्रोध
इससे भगवान शिव बहुत ही क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया था। लेकिन बाद में अन्य देवताओं को और कामदेव की पत्नी रति द्वारा प्रार्थना करने पर शिव जी ने कामदेव को जीवितदान दिया। साथ ही शिव जी ने पार्वती के विवाह प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया। जिसकी खुशी में सभी देवी-देवताओं ने रंगोत्सव मनाया। माना जाता है कि यह दिन फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था।
यह भी है मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होली के दिन भगवान की पूजा करने से सभी प्रकार के दोष दूर हो सकते हैं। जिन लोगों की शादी नहीं हो रही है या फिर शादी में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, उन्हें होली की रात्रि में विधि-विधान से भगवान शिव का पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से जातक के लिए शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। इसके साध ही यदि किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है, तो वह होलिका दहन के बाद उसकी राख से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'