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Holy Rivers: हिंदू धर्म में क्या है नदी में स्नान का महत्व, जानिए इसके लाभ और नियम

Holy Rivers हिंदू धर्म में नदियों को बहुत ही पवित्र माना जाता है। पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का भी नाश होता है। कुंभ स्‍नान संक्रांति स्‍नान माघी पूर्णिमा आदि सभी में सबसे ज्‍यादा प्रधानता स्‍नान की होती है। लेकिन इसके कुछ नियम भी हैं जिन्हें जानना जरूरी है। तभी आप नदियों में स्नान का पूरा फल प्राप्त कर पाएंगे।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 11 Jul 2023 04:18 PM (IST)
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Holy Rivers हिंदू धर्म में नदी में स्नान का महत्व।

नई दिल्ली, अध्यात्म। Holy Rivers: सनातन धर्म में प्रकृति का बहुत अधिक महत्व है। भगवत गीता में स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है कि सृष्टि के कण-कण में ईश्वर का वास है। इसलिए सभी प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। नदियां भी प्रकृति का एक अभिन्न अंग हैं। भारत में नदियों को देवी का दर्जा दिया जाता है। गंगा, यमुना जैसी कई पवित्र नदियों को माता का दर्जा दिया गया है।

नदी में स्नान का महत्व

भारत में कई नदियों को लोकमाता कहकर पुकारा जाता है। शास्त्रों में भी स्नान करते समय सप्त नदियों, गंगा, यमुना, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी को याद करने का विधान है। पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही आरोग्य से लेकर समृद्धि तक का आशीर्वाद मिलता है।

नदी में स्नान के लाभ

नदी में स्नान करने को पुण्यदायी माना गया है। इससे व्यक्ति को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही तन और मन शुद्ध होता है। नदी में स्नान से अंतर्मन शांत होता है और व्यक्ति के दोष दूर होते हैं। नदी में स्नान करने से आरोग्य जीवन मिलता है। साथ ही इससे नकारात्मक ऊर्जा आपसे दूर रहती है। मान्यताओं के अनुसार, नदी में स्नान करने से ग्रहों की दशा में भी सुधार होता है।

जानिए नदी में स्नान के क्या हैं नियम

नदी में हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में स्ना करना चाहिए। नदी में प्रातः काल स्नान करना शुभ माना जाता है। नदी में स्नान के दौरान सूर्य अर्घ्य अवश्य देना चाहिए। स्नान के दौरान साबुन या शैम्पू जैसी चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए। कभी भूलकर भी नदी में वस्त्रों को नहीं धोना चाहिए। किसी भी पवित्र नदी में नहाते समय इस मंत्र का जाप करें। आप चाहें तो घर में स्नान करते समय भी यह मंत्र बोल सकते हैं। ऐसा करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।

मंत्र- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'