Hanuman Ashtak: हर संकट से पाना चाहते हैं छुटकारा, तो मंगलवार को जरूर करें हनुमान अष्टक का पाठ
Hanuman Ashtak मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही करियर और कारोबार को भी नया आयाम मिलता है। अगर आप भी हर संकट से मुक्ति पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पाठ करें-
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 01 May 2023 10:11 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Hanuman Ashtak: मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा उपासना की जाती है। शास्त्रों में निहित है कि हनुमान जी का सुमरन करने से सभी संकट और दुख दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही करियर और कारोबार को भी नया आयाम मिलता है। अगर आप भी हर संकट से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पाठ करें-
संकटमोचन हनुमानाष्टकबाल समय रबि भक्षि लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारो।ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो॥देवन आनि करी बिनती तब,छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो॥बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो।चौंकि महा मुनि शाप दियो तब,
चाहिय कौन बिचार बिचारो॥कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के शोक निवारो।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो॥अंगद के संग लेन गये सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो।जीवत ना बचिहौ हम सो जु,बिना सुधि लाय इहां पगु धारो॥हेरि थके तट सिंधु सबै तब,लाय सिया-सुधि प्राण उबारो।को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो॥रावन त्रास दई सिय को सब,राक्षसि सों कहि शोक निवारो।ताहि समय हनुमान महाप्रभु,जाय महा रजनीचर मारो॥चाहत सीय अशोक सो आगि सु,दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो॥बाण लग्यो उर लछिमन के तब,प्राण तजे सुत रावण मारो।लै गृह बैद्य सुषेन समेत,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो॥
आनि सजीवन हाथ दई तब,लछिमन के तुम प्राण उबारो।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो॥रावण युद्ध अजान कियो तब,नाग कि फांस सबै सिर डारो।श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयोयह संकट भारो॥आनि खगेस तबै हनुमान जु,बंधन काटि सुत्रास निवारो।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो॥बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पाताल सिधारो।देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि,देउ सबै मिति मंत्र बिचारो॥जाय सहाय भयो तब ही,अहिरावण सैन्य समेत संहारो।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो॥काज किये बड़ देवन के तुम,वीर महाप्रभु देखि बिचारो।कौन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसों नहिं जात है टारो॥बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,जो कछु संकट होय हमारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो॥दोहालाल देह लाली लसे, अरू धरि लाल लंगूर।बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।। डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'