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Shadi ke Saat Phere: हिंदू धर्म में शादी के समय क्यों लिए जाते हैं सात फेरे, जानिए इन वचनों का महत्व

Shadi ke Saat Phere हिंदू धर्म में शादी के दौरान कई तरह के रीति-रिवाज होते हैं। जिन्हें बेहद ही विधि-विधान से किया जाता है। हल्दी तिलक मेहंदी से लेकर कई तरह की रस्में होती हैं। ये सारी रस्में 4-5 दिनों तक चलती हैं लेकिन इन रस्मों में सात फेरे का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इसके बिना शादी पूरी नहीं होती है।

By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Fri, 25 Aug 2023 09:25 AM (IST)
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Shadi ke Saat Phere: शादी के दौरान क्यों लिए जाते हैं सात फेरे

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shadi ke Saat Phere: हिन्दू धर्म में हर रस्म का एक विशेष महत्व माना गया है। 16 संस्कारों में से एक है विवाह संस्कार, जो शादी के दौरान दो आत्माओं को आपस में जोड़ने का काम करता है। शादी के रीति-रिवाजों की बात करें,  तो ये न सिर्फ दो लोगों को जोड़ती है, बल्कि उन्हें जीवन की हर एक जिम्मेदारी को निभाना भी सिखाती है। हिंदू धर्म में सात फेरे के बिना शादी पूरी नहीं मानी जाती है। तो आइए जानते हैं कि शादी के समय क्यों लिए जाते हैं सात फेरे और क्या है इनका महत्व।

विवाह के दौरान सात फेरे का महत्व

हिंदू धर्म में विवाह के दौरान सात फेरे लेने की परंपरा को सात जन्मों का बंधन माना गया है। विवाह में दूल्हा-दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं, ताकि वे अगले सात जन्मों तक साथ रह सकें। साथ ही वह पति-पत्नी के रिश्ते को मन, शरीर और आत्मा से निभाने का वादा भी करते हैं। सनातन धर्म में, सात फेरे और सात वचनों का महत्व दो लोगों की आत्मा और शरीर को एक साथ जोड़ना है। माना जाता है कि इन सात फेरों और सात वचनों की वजह से दूल्हा-दुल्हन सात जन्मों तक साथ रहते हैं।

फेरे में 7 की संख्या का क्या है महत्व

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, धरती पर पाई जाने वाली सभी महत्वपूर्ण वस्तुओं की संख्या 7 मानी जाती है। जैसे- इंद्रधनुष के सात रंग, सात तारे, सात सुर, सात दिन, सात चक्र, मनुष्य की सात क्रियाएं आदि। इसी वजह से पौराणिक मान्यताओं में 7 अंक को शुभ माना गया है। इसलिए शादी के दौरान भी सात फेरे लेने की मान्यता है और इन फेरों के बाद पति-पत्नी जीवनभर के लिए एक हो जाते हैं।

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