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Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान के बाद इन नियमों का करें पालन, तभी मिलेगा उसका फल!

सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष को बेहद खास माना जाता है। यह 16 दिनों तक चलते हैं। मान्यताओं के अनुसार लोग इस दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। साथ ही उनका पिंड दान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पिंड दान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 08 Sep 2024 03:57 PM (IST)
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Pitru Paksha 2024: तर्पण करने के बाद घर पर जरूर करें ये काम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष का समय अपने आप में बेहद अहम माना गया है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के नाम से तर्पण करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होगा। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान जो लोग पिंडदान करते हैं, उन्हें पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती।

वहीं, जो लोग इस अवधि में अपने पूर्वजों का तर्पण करने के लिए गया जाते हैं, उन्हें कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना चाहिए, तो आइए जानते हैं।

तर्पण करने के बाद घर पर जरूर करें ये काम (Pind Daan in Gaya)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग पितृ पक्ष में अपने पितरों का तर्पण करने के लिए जाते हैं, उन्हें वहां से लौटने के बाद कुछ ऐसे नियम हैं, जिनका पालन जरूर करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि घर पर आने के पश्चात श्री हरि की विधिवत पूजा और सत्यनारायण कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए या सुनना चाहिए।

इसके साथ ही विष्णु भगवान के नाम से गरीब ब्राह्मणों और अपने परिवार के सदस्यों को भोजन करवाना चाहिए। इन चीजों के बाद ही श्राद्ध पूर्ण माना जाता है और उसके शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं। साथ ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

पितृ दोष मुक्ति के उपाय

जो लोग पितृ दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं, उन्हें पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इसके साथ ही पंचबली भोग निकालना चाहिए और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, इस दौरान गीता का पाठ भी अवश्य करना चाहिए।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।