Importance of Shringar: शृंगार करते समय इन बातों का रखेंगी ध्यान, तो खुशियों से भरा रहेगा वैवाहिक जीवन
Importance of Shringar हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा 16 शृंगार किया जाता है जिसे सुहाग की निशानी माना जाता है। हिंदू धर्म में विवाह के बाद सुहागिन महिलाओं द्वारा सिंदूर मंगलसूत्र बिछिया और पायल आदि आवश्यक रूप से पहना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सुहागिन महिलाओं को शृंगार करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Solah Shringar Significance: हिंदू धर्म में 16 शृंगार को सुहाग का पर्याय माना जाता है। सभी शृंगार का अपना एक खास धार्मिक महत्व है। ऐसे में यदि आप इन शृंगार की सामग्री को धारण करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखते हैं तो इससे आपके शादीशुदा जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।
इस तरह लगाएं सिंदूर
भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाने की परंपरा चली आ रही है। यह भी माना जाता है कि महिला अपनी मांग में जितना लंबा सिंदूर भरती है उसके पति की उम्र भी उतनी ही लंबी होती है। ऐसे में हमेशा लंबा सिंदूर लगाएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि मांग हमेशा सीधी होनी चाहिए, टेड़ी-मेड़ी नहीं।
इसका भी रखें ध्यान
आज कल रंग-बिरंगी बिंदियां चलन में आ गई हैं। लेकिन सुहागिन महिलाओं के लिए लाल रंग की बिंदी सबसे उत्तम मानी गई है। मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाओं के लिए काली बिंदी लगाना शुभ नहीं माना गया है। वहीं, कांच की चूड़ियां सबसे उत्तम मानी गई हैं। साथ ही यह भी माना गया है कि सुहागिन महिलाओं को काली चूड़ी पहनने से बचना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि मंगलवार या शनिवार के दिन चूड़ियां न खरीदें।इस समय न सवारें बाल
महिलाओं को साज-शृंगार करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि सूर्यास्त के बाद कभी भूलकर भी बालों में कंघी न करें। ऐसे में रात के समय कभी भी बाल न सवारें, और न ही रात में सोते समय अपने बालों को खोलें। माना जाता है कि सूर्य ढलने के बाद नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है और आपके ऊपर नकारात्मकता हावी हो सकती हैं। ऐसे में रात के समय बालों को हमेशा बांधकर या फिर चोटी को गूंथ कर सोना चाहिए।
कैसा होना चाहिए मंगलसूत्र
हिंदू धर्म में मंगलसूत्र सुहाग की निशानी माना गया है। काली मोतियों का बना सबसे उत्तम माना गया है। यह पीले धागे में पिरोया हुआ होना चाहिए, क्योंकि पीला रंग बृहस्पति का प्रतीक माना जाता है, जिससे वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है। वहीं, मंगलसूत्र के काले मोती विवाहिता को नकारात्मक ऊर्जा से बचाते हैं। साथ ही यह भी मान गया है कि मंगलसूत्र को बार-बार उतारना नहीं चाहिए।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'