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Indian Rivers: भारत की इस नदी को क्यों कहा जाता है नद, जानिए क्या है मान्यता

Indian Rivers भारत में जितनी भी नदियां हैं उन्हें देवी माना जाता है और उनके नाम में स्त्रीलिंग का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भारत में एक ऐसी नदी भी मौजूद है जिसे पुरुष होने के कारण नद कहा जाता है। आइए जानते हैं कि कैसे इस नदी से अन्य धर्म के लोगों की भी आस्था जुड़ी है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 11 Jul 2023 12:02 PM (IST)
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Indian Rivers भारत की एकमात्र पुरुष नदी कौन-सी है।
नई दिल्ली, अध्यात्म। Indian Rivers: सनातन धर्म में कई नदियों से लेकर पेड़ों और जानवरों जैसे गाय आदि को पूजनीय माना गया है। इसी से पता लगाया जा सकता है कि हिंदू धर्म में प्रकृति का क्या महत्व है। नदियां प्रकृति का एक अभिन्न अंग हैं। भारतीय संस्कृति में नदियों को देवी स्वरूप माना गया है। इसी के चलते गंगा नदी को माता कहकर संबोधित किया जाता है।

अलग-अलग धर्मों में क्या है महत्व

भारत की ब्रह्मपुत्र नदी को पुरुष नदी के रूप में भी जाना जाता है। जैसा की नाम से ही ज्ञात होता है, ब्रह्मपुत्र नदी को भगवान ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है। इसलिए इस नदी को नद भी कहते हैं। हिंदुओं के लिए तो यह नदी पूजनीय है ही साथ ही बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी इसे पूजनीय मानते हैं। बौद्ध धर्म के लोगों का मानना है कि ब्रह्मपुत्र नदी एक महान झील चांग थांग पठार से निकली है। वहीं, दूसरी और हिंदू धर्म में लोगों का मानना है कि ब्रह्मपुत्र नदी ब्रह्मा और अमोघ ऋषि के पुत्र हैं। इसलिए हिंदू धर्म में इस नदी का इतना महत्व है।

कहां-कहां बहती है ये नदी

ब्रह्मपुत्र नदी नदी का उद्गम हिमालय के उत्तर में तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील के निकट होता है। यह नदी केवल भारत तक सीमित नहीं है। भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करने के बाद यह नदी असम घाटी में बहते हुए फिर बांग्लादेश में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र नदी भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। भारत में इस नदी की लंबाई लगभग 2700 किलोमीटर है।

क्या है पौराणिक मान्यता

ब्रह्मपुत्र नदी को दिव्य और चमत्कारी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुष्कर में मौजूद ब्रह्मा जी के मंदिर के दर्शन के बाद ब्रह्मपुत्र नदी में नहाना चाहिए। इससे व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। ऐसा करने से ब्रह्म दोष नहीं लगता है और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मपुत्र नदी को ब्रह्मा जी का पुत्र माना गया है। इसलिए इसे पुरुष नदी कहा जाता है।