Indore Shani Temple: इस मंदिर में स्वयं प्रकट हुए थे भगवान शनि! 16 शृंगार के बाद होती है पूजा
जूनी शनि मंदिर रवि पुत्र के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को लेकर लोगों की अपनी -अपनी मान्यताएं हैं। भगवान शनि का यह मंदिर इंदौर में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है तो चलिए यहां से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शनिदेव की पूजा का शास्त्रों में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि न्याय के देवता शनि देव की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों का अंत होता है। आज हम भगवान शनि के एक ऐसे प्राचीन मंदिर की बात करेंगे, जहां रवि पुत्र स्वयं प्रकट हुए थे। साथ ही वहां उनका सोलह शृंगार भी किया जाता है। दरअसल, भगवान शनि का यह मंदिर इंदौर (Indore Shani Temple) में स्थित है। यहां पर पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है, तो आइए यहां से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -
ऐसे हुआ था जूनी शनि मंदिर का निर्माण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जूनी शनि मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है, जिसमें बताया गया है कि मंदिर के स्थान पर लगभग 300 साल पहले एक 20 फुट ऊंचा टीला हुआ करता था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरा करते थे। एक बार रात्रि को पंडित गोपालदास के सपने में भगवान शनि ने आकर दर्शन दिया और बताया कि उनकी एक प्रतिमा उस टीले के अंदर दबी हुई है।
शनि देव की बातें सुनकर पंडित जी ने कहा कि 'वे दृष्टिहीन होने की वजह से इस कार्य को करने में असमर्थ हैं,' इसपर छाया पुत्र ने कहा, 'अपनी आंखें खोलो, अब तुम सब कुछ देख सकोगे।'स्वप्न से जागते ही जैसे ही गोपाल दास जी ने अपनी आंखें खोली, तो उनकी आंखों की रोशनी फिर से लौट आई थी, जिसके बाद उनके स्वप्न पर अब हर किसी को यकीन था। इसके पश्चात उस टीले को खोदा गया और वहां से भगवान शनि की प्रतिमा निकली। ऐसा माना जाता है कि आज भी वह प्रतिमा उस मंदिर में स्थापित है।
इस वजह से शनि देव का होता है राजसिक शृंगार
बता दें, यह शनि देव के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है, जहां पर उनका राजसिक शृंगार किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर भक्तों की सभी मुरादें पुरी होती हैं। इसके अलावा जो लोग गलत काम करते हैं उन्हें दंड भी मिलता है।
जानकारी के लिए बता दें, उनका क्रोध सदैव शांत रहे इस वजह से भी उनका राजसिक शृंगार किया जाता है। वहीं, यह एक ऐसा शनि मंदिर हैं, जहां पर भगवान शनि को तेल के अलावा दूध और जल भी चढ़ाया जाता है।यह भी पढ़ें: Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी की पूजा में शामिल करें ये 3 भोग, श्री हरि के साथ प्रसन्न होंगी माता लक्ष्मी
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