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International Yoga Day 2024: भगवान शिव क्यों कहलाते हैं आदियोगी, जानिए क्या है योग से कनेक्शन

आज दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। योग का भारत के गहरा नाता रहा है क्योंकि योग का उद्गम स्थान भी भारत को ही माना जाता है। योग को संबंध भगवान शिव से माना गया है। हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव को आदियोगी भी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि शिव जी का यह नाम कैसे पड़ा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Fri, 21 Jun 2024 12:38 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2024 12:38 PM (IST)
Adiyogi Shiv: भगवान शिव क्यों कहलाते हैं आदियोगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज के इस भागदौड़ भरे दौर में व्यक्ति स्वयं के लिए समय निकालने में भी अक्षम है। इसका परिणाम भी लोगों की सेहत पर देखने को मिल रहा है। छोटी-सी उम्र में लोग बड़ी-बड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में योग खुद को स्वस्थ रखने का एक बेहतर विकल्प है। योग (International Yoga Day 2024) भले ही आपके समय की मांग करता है, लेकिन इसके बदले में व्यक्ति को लंबी उम्र का वरदान भी देता है।

इसलिए कहते हैं आदियोगी

आदियोगी का शाब्दिक अर्थ है पहला योगी या आदिगुरु। कई पुराणों में इसका वर्णन भी मिलता है कि भगवान शिव योग के सबसे पहले गुरु या योग के प्रवर्तक हैं। इसलिए भगवान शिव को आदियोगी (Adiyogi) कहा गया है। आदियोगी अर्थात भगवान शिव ने अपने सात शिष्यों, यानी सप्तर्षियों को योग का ज्ञान दिया था, जिसमें उन्होंने 112 तरीके बताए।

इनके माध्यम से मनुष्य अपनी सीमाओं से पार जाकर अपनी अंतिम क्षमता तक पहुंच सकता है। आसान शब्दों में समझें तो योग, इस जीवन की मूलभूत रचना को जानने, और इसे अपनी परम संभावना तक ले जाने का एक विज्ञान और तकनीक है। आज हम विज्ञान को योगिक विज्ञान के रूप में जानते हैं, जिसके जनक शिव ही हैं।

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मिलते हैं कई परिमाण

अब तक मिल चुके परिमाणों के आधार पर ये पता लगा है कि योग उत्पत्ति हजारों साल पहले हो चुकी थी। इतना ही नहीं, हिंदू घाटी सभ्यता में ऐसे कई प्रमाण और जीवाश्म मिले हैं, जिसमें योग साधना का दर्शन मिलता है। इसी प्रकार कई देवी-देवताओं की मूर्ति की बनावट भी योग मुद्रा में मिलती है, जिससे ये साफ होता है कि भारत में योग की मौजूदगी प्राचीन काल से ही है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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