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Jagannath Rath Yatra 2023: आज भव्य रथों पर यात्रा करेंगे भगवान जगन्नाथ, जानिए रथ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें

Jagannath Rath Yatra 2023 आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दिन न केवल पुरी में बल्कि देश के कई हिस्सों में इस यात्रा को निकाला जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Tue, 20 Jun 2023 10:15 AM (IST)
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Jagannath Rath Yatra 2023 जानिए रथ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Jagannath Rath Yatra 2023 Date and Time: आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा जगन्नाथ पुरी सहित देश के विभिन्न हिस्सों में निकाली जाएगी। बता दें कि हर साल भगवान जगन्नाथ आषाढ़ मास के शुक्ल की द्वितीया तिथि के दिन यात्रा पर जाते हैं। आज के दिन भगवान जगन्नाथ विशालकाय रथों पर विराजमान होकर गुंडिचा मंदिर जाएंगे, जहां वह कुछ दिन विश्राम करेंगे। भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी अलग-अलग रथों पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करेंगे।

परंपरा अनुसार, आज भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। जहां उनका स्वागत धूमधाम से किया जाता है और तीनों भाई-बहन अपनी मौसी के घर कुछ दिन विश्राम करते हैं। इसके बाद वह पुनः अपने घर लौट आते हैं। आइए जानते हैं, आज कब शुरू हो रही है रथ यात्रा और क्या है इसका आध्यात्मिक महत्व।

रथ यात्रा 2023 समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत सोमवार सुबह 11:25 पर चुकि है और इस तिथि का समापन 20 जून को दोपहर 01:07 पर होगा। उदया तिथि के कारण रथ यात्रा आज निकाली जाएगी। बता दें कि आज रथ यात्रा रात्रि 10:04 से शुरू होगी और इसका समापन गुंडिचा मंदिर में 21 जून को शाम 07:09 पर हो जाएगा।

रथ यात्रा की खास बातें

  • हर साल ओडिशा स्थित पूरी नगरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दिन तीन विशालकाय और भव्य रथों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा विराजमान होते हैं। सबसे आगे बलराम जी का रथ चलता है, बीच में बहन सुभद्रा जी होती हैं और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ चलता है।

  • रथ यात्रा में रथों को दारु कहे जाने वाले नीम की पवित्र लड़कियों से बनाया जाता है और इसमें किसी भी प्रकार के कील या कांटों का उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे रथ की पवित्रता बनी रहती है। शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी आध्यात्मिक कार्य के लिए कील या कांटे का इस्तेमाल अशुभ होता है।

  • भगवान बलराम के रथ का रंग लाल होता है। देवी सुभद्रा काली या लाल रंग के रथ पर विराजमान होती हैं और अंतिम में जगन्नाथ भगवान लाल या पीले रंग के रथ पर आसीन रहते हैं। भगवान जगन्नाथ की रथ की ऊंचाई 44.2 फीट है, बड़े भाई बलभद्र जी के रथ की ऊंचाई 43.2 फीट होती है और सबसे छोटा रथ, छोटी बहन देवी सुभद्रा जी का है, जिसकी ऊंचाई 42.3 फीट है।

  • डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।