Jagannath Rath Yatra 2024: भक्त के हाथ की खिचड़ी खाने के लिए दौड़े चले आते थे भगवान जगन्नाथ, जानिए यह कथा
ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर विश्व विख्यात मंदिरों में से एक है। भगवान जगन्नाथ जी को प्रभु श्री हरि का ही अवतार माना जाता है। हर साल पुरी में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमें भगवान जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा के रथ शामिल होते हैं। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई 2024 से हो चुकी है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल जगन्नाथ यात्रा का हिस्सा बनने के लिए लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुचते हैं। इस यात्रा में उमड़ा सैलाब देखकर ही लोगों की इस रथ यात्रा के प्रति श्रद्धा का अनुभव कर सकते हैं। खिचड़ी भी भगवान जगन्नाथ के प्रिय भोग में शामिल है, जिसके पीछे एक विशेष कथा मिलती है। ऐसे में इस विशेष अवसर पर आज हम आपको भगवान Jagannath से जुड़ी ये खास कथा बताने जा रहे हैं।
पुत्र की तरह सेवा करती थी वृद्ध भक्त
कथा के अनुसार, एक वृद्ध महिला जिसका नाम कर्माबाई था, वह पुत्र के रूप में बाल जगन्नाथ की सेवा करती थीं। वह बड़े ही लाड-प्यार के साथ प्रभु की सेवा करती थी। सुबह जल्दी उठने के बाद वह सबसे पहले जगन्नाथ जी के लिए खिचड़ी तैयार करती और उन्हें भोग लगाती। लेकिन इस बीच उसे स्नान करने का भी ध्यान नहीं रहता। एक बार कर्माबाई से किसी पुजारी ने कह दिया कि तुम्हें स्नान करने के बाद ही भगवान के लिए भोग बनाना चाहिए।
साधु के कहने पर बदले नियम
साधु के कहे अनुसार, अगले दिन कर्माबाई ने ऐसा ही किया और स्नान करने के बाद भगवान के लिए भोग तैयार किया। इसके बाद भोग ग्रहण करने के लिए भगवान जगन्नाथ को पुकारा। तब जगन्नाथ जी ने आकर कहा कि आज आपको इतनी देर कैसे हो गई। इसके बाद कर्माबाई ने खिचड़ी परोसी और भगवान ने जल्दी-जल्दी खिचड़ी खाई, ताकि वह समय पर मंदिर जा सकें।
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जब पुजारी ने खोले मंदिर के पट
इसके बाद जब पुजारी ने मंदिर के पट खोले, तो देखा कि भगवान जगन्नाथ के मुख पर खिचड़ी लगी हुई है। पुजारी को कुछ समझ नहीं आया। तब रात में पुजारी के सपने में आकर जगन्नाथ जी ने पुजारी से कहा कि मैं रोज कर्माबाई के घर पर खिचड़ी खाकर आता हूं।
आज उन्होंने एक साधु के कहने पर स्नान करने के बाद मेरे लिए खिचड़ी बनाई, जिस कारण मुझे देर हो गई। इसलिए तुम कर्माबाई को समझाओं की वह पहले की तरह ही मेरी सेवा करें। अगले दिन उस पुजारी ने कर्माबाई को समझाया और वह पहले की तरह ही प्रभु की सेवा करने लगीं।अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।