Jagannath Rath Yatra 2024: इस वजह से 12 साल में बदली जाती हैं भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा, जानें इसके पीछे का रहस्य
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सभी भक्तों के लिए बहुत ही खास होती है जिसका पालन वे पूरे श्रद्धाभाव के साथ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसका हिस्सा बनने से सभी दुखों का अंत होता है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। इस बार इसकी शुरुआत 07 जुलाई 2024 को होगी तो चलिए इससे जुड़ी कुछ बातों को जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हर साल धूमधाम के साथ निकाली जाती है। इस दिन का इंतजार भक्त बेसब्री के साथ पूरे साल करते हैं। रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2024) का आरंभ आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानि 7 जुलाई से होगा, जिसमें भारी मात्रा में भक्तों का सैलाब शामिल होगा। कहा जाता है, जो लोग इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति है। इसके साथ ही काम, क्रोध और लोभ से छुटकारा मिलता है।
ऐसे में आज हम इस यात्रा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का जिक्र करेंगे, जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को होगी, तो चलिए जानते हैं -
12 साल में बदली जाती हैं प्रतिमाएं
जगन्नाथ मंदिर को लेकर कई ऐसे रहस्य हैं, जो काफी चौंकाने वाले हैं। इन्हीं में से एक यह भी है कि हर 12 साल में इस धाम की मूर्तियों को बदल दिया जाता है। दरअसल, इस अनुष्ठान को 'नवकलेवर' के नाम से जाना जाता है। नवकलेवर का अर्थ है - नया शरीर।
इस परंपरा के अंतर्गत जगन्नाथ मंदिर में स्थापित श्री जगन्नाथ, बालभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन की प्रतिमा को बदला जाता है, जिसके पीछे का यह कारण है कि ये प्रतिमाएं लकड़ी से बनाई जाती हैं और वे खंडित न हों इस वजह से उन्हें बदला जाता है।
क्या है नवकलेवर परंपरा ?
आपको बता दें, इस नवकलेवर परंपरा में मूर्तियां बदली जाती हैं। ऐसा कहा जाता है जब यह पवित्र अनुष्ठान शुरू होता है, उस दौरान पूरे शहर की लाइट को बंद करवा दिया जाता है, जिससे हर जगह अंधेरा हो जाए। यह परंपरा बहुत गुप्त होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस प्रक्रिया को करते समय किसी की नजर उसपर नहीं पड़नी चाहिए। इसलिए इसे बेहद गोपनीय रखा जाता है।