Janmashtami 2022: श्री कृष्ण और राधा रानी का क्या है रिश्ता?
Janmashtami 2022 धार्मिक ग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम प्रसंग का वृतांत विस्तृत रूप में किया गया है। जब भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन से मथुरा जाने लगे तो उन्होंने राधा को वचन दिया था कि मैं वापस आऊंगा। इस वचन के बावजूद भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन लौटकर नहीं आए।
By Pravin KumarEdited By: Updated: Thu, 18 Aug 2022 10:32 PM (IST)
Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के संबंध को लेकर पंडितों और जानकारों में मतभेद है। कई जानकारों का मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के मध्य आत्मीय संबंध था। जब भगवान नारायण द्वापर युग में पृथ्वी पर मानव रूप में अवतरित हुए, तो माता लक्ष्मी भी भगवान के साथ मृत्यु लोक में रहने राधा रूप में प्रकट हुई। हालांकि, दोनों साथ नहीं रह सके। वहीं, कई जानकारों का कहना है कि राधा थी नहीं, राधा ही रुक्मिणी थी। हालांकि, इस तथ्य में सत्यता कम झलकती है। कुछ तथ्यों को छोड़ दिया जाए, तो यह प्रमाण मिलता है कि राधा और रुक्मिणी दो नारी थी, लेकिन दोनों माता लक्ष्मी का अंश स्वरूप थी।
धार्मिक ग्रंथों में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम प्रसंग का वृतांत विस्तृत रूप में किया गया है। जब भगवान श्रीकृष्ण, वृन्दावन से मथुरा जाने लगे, तो उन्होंने राधा रानी को वचन दिया था कि मैं वापस आऊंगा। इस वचन के बावजूद भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन लौटकर नहीं आए। राधा रानी, भगवान के इंतजार में वियोग में रही। ऐसा भी कहा जाता है कि उन दिनों भगवान, मथुरा में लंबे समय तक युद्ध में उलझे रहें। इसके चलते उन्हें राधा की याद नहीं आई। इस दौरान उन्होंने रुक्मिणी से शादी भी कर ली।
दूसरी तरफ राधा रानी का भी विवाह भगवान श्रीकृष्ण की माता के भाई रायाण से हो गई। इस रिश्ते से राधा, भगवान श्रीकृष्ण की मामी बन गई। ऐसा भी कहा जाता है कि जब राधा रानी को छोड़ भगवान मथुरा जा रहे थे, तो भगवान जाना नहीं चाहते थे। उस समय यह प्रसंग भी जुड़ा है कि राधा रानी की मंगनी हो गई।
मंगनी से प्रसन्न न होने पर राधा को कमरे में बंद कर दिया गया था। उस समय भगवान, राधा रानी को अपने घर ले आये थे और माता जी से शादी कराने की बात की थी। हालांकि, माता-पिता ने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन भगवान नहीं मानें। तब ऋषि गर्ग ने उन्हें बताया कि वे महान कार्य के लिए अवतरित हुए हैं। हठ करना छोड़ दें। इसके बाद श्रीकृष्ण मथुरा चले गए।
कई शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि ब्रह्मदेव ने स्वंय राधा रानी और भगवान का गंधर्व विवाह कराया था। वहीं, कई प्रसंगों में यह भी कहा गया है कि बाल्यावस्था में दोनों का विवाह हुआ था। एक अन्य प्रसंग भी कृष्ण विरह से जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि चिरकाल में नारद जी, माता लक्ष्मी संग विवाह करना चाहते थे, लेकिन भगवान नारायण ने उनकी यह मनोकामना पूरी नहीं होने दी थी। इससे क्रोधित होकर नारद जी ने नारायण को वियोग का शाप दिया था। उस शाप के फलस्वरूप त्रेता युग में भगवान राम को माता सीता का और द्वापर युग में राधा रानी का वियोग मिला।
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