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Janmashtami Vrat Katha: जन्माष्टमी पर जरूर करें इस कथा का पाठ, प्राप्त होगी लड्डू गोपाल की कृपा

वर्ष 2024 में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज यानी 26 अगस्त (Janmashtami 2024 Date) को मनाया जा रहा है। इस दिन लड्डू गोपाल की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि उपासना करने से कान्हा जी की कृपा प्राप्त होती है। चलिए जानते हैं भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण (Janmashtami Vrat Katha) कैसे हुआ?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 26 Aug 2024 09:19 AM (IST)
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Janmashtami 2024: कैसे हुआ भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Janmashtami Ki Vrat Katha: धार्मिक मान्यता के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए भाद्रपद के महीने में जन्माष्टमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। अगर आप इस शुभ अवसर पर लड्डू गोपाल का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो पूजा के दौरान जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ जरूर करें। इससे साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं। आइए पढ़ते हैं जन्माष्टमी व्रत कथा

जन्माष्टमी व्रत कथा (Janmashtami Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा में कंस नाम का राजा अधिक अत्याचारी शासन किया करता था। इससे ब्रजवासी परेशान हो गए थे। राजा अपनी बहन को अधिक प्यार किया करता था। उसने बहन की शादी वासुदेव से कराई। जिस समय वो देवकी और वासुदेव को उनके राज्य लेकर जा रहे थे, तो उस दौरान आकाशवाणी हुई 'हे कंस! तू अपनी बहन को ससुराल छोड़ने के लिए जा रहा है, उसके गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान तेरी मौत की वजह बनेगी। यह सुनकर कंस को क्रोध आया और वसुदेव को मारने बढ़ा। ऐसे में देवकी ने अपने पति को बचाने के लिए कंस से कहा कि जो भी संतान जन्म लेगी, मैं उसे आपको सौंप दूंगी। इसके बाद कंस ने दोनों को कारागार में डाल दिया।

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कारागार में देवकी ने दिया 7 संतान को जन्म

कारागार में ही रह कर देवकी ने एक-एक करके सात बच्चों को जन्म दिया, परंतु कंस ने सभी संतान को मार दिया। योगमाया ने सातवीं संतान को संकर्षित कर माता रोहिणी के गर्भ में पहुंचा दिया था। इसके पश्चात माता देवकी ने आठवीं संतान को जन्म दिया। आठवीं संतान के रूप में भगवान विष्णु कृष्णावतार के रूप में अवतरित हुए।  

कारागार में प्रकट हुए भगवान विष्णु

उसी दौरान रोहिणी की बहन मां यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया। इस बीच देवकी के कारागार में प्रकाश हुआ और जगत के पालनहार भगवान विष्णु अवतरित हुए। श्रीहरि ने वासुदेव से कहा कि इस संतान को आप नंद जी के घर ले जाओ और और वहां से उनकी कन्या को यहां लाओ।

कंस ने कन्या को मारने का किया प्रयास

वासुदेव ने प्रभु के आदेश का पालन किया। नंद जी के यहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आ गए। जब देवकी के भाई कंस को आठवीं संतान होने की खबर मिली, तो वह तुरंत कारागार पहुंचा और देवकी से कन्या को छीनकर नीचे पटकना चाहा, परंतु वह कन्या उसके हाथ में से निकलकर आसमान की ओर चली गई। इस दौरान कन्या ने कहा कि 'हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है। अब तुझे तेरे को पापों की सजा अवश्य मिलेगी। वह कन्या कोई और नहीं, स्वयं योग माया थीं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।