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Janmashtami 2024: आखिर कैसे भगवान श्रीकृष्ण का नाम पड़ा मोर मुकुटधारी? पढ़ें इससे जुड़ी कथा

इस वर्ष जन्माष्टमी 26 अगस्त (Janmashtami 2024 date) को मनाई जाएगी। जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि प्रभु की सच्चे मन से पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है और कान्हा जी का शृंगार किया जाता है। मान्यता है कि बिना मोर मुकुट के शृंगार अधूरा माना जाता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 13 Aug 2024 02:25 PM (IST)
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Janmashtami 2024 मोर पंख का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Krishna: सनातन धर्म से जुड़े लोगों के लिए भाद्रपद का महीना बेहद महत्वपूर्ण माना है, क्योंकि इस माह में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami History) का त्योहार मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को जगत के पालनहार भगवान भगवान विष्णु के आठवां अवतार माना जाता है। यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर देशभर में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार बिना मोर मुकुट के अधूरा माना जाता है। क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को मोर मुकुटधारी क्यों कहा जाता है? यदि नहीं पता, तो चलिए इस लेख में जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।  

ये है वजह

पौराणिक कथा के अनुसार, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण जब वनवास गए थे, तो उस दौरान त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया। वनवास के समय रावण ने माता सीता का हरण कर लिया।  इसके पश्चात श्री राम और लक्ष्मण ने माता सीता को खोजने की शुरुआत की। वह दोनों जंगल में सभी से माता सीता के बारे में पूछ रहे थे, ऐसे में एक मोर ने बताया कि भगवान श्रीराम मैं आपको एक मार्ग बताता हूं कि रावण माता सीता को किस तरफ लेकर गया है, लेकिन एक समस्या है मैं (मोर) तो आकाश मार्ग से जाऊंगा और आप पैदल। मोर ने इस समस्या का समाधान निकाला।

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उसने कहा कि मैं आकाश से अपना एक-एक मोर पंख गिराता हुआ जाऊंगा। आप उसी मार्ग पर चलना। ऐसे में आप मार्ग नहीं भटकेंगे। मोर ने ठीक ऐसा ही किया, लेकिन वह अंत में मरणासन्न हो गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोर के पंख (Peacock Crown Significance) विशेष मौसम में ही गिरते हैं। अगर मोर के पंख जानबूझ के गिरते हैं, तो ऐसे में उसकी मृत्यु सकती है। प्रभु राम ने मोर से कहा कि इस काम का उपकार मैं जीवन भर नहीं चुका सकता, लेकिन अगले जन्म में उसके सम्मान में पंख को अपने मुकुट में धारण करेंगे। इस प्रकार श्रीहरि ने श्रीकृष्ण (Lord Krishna Peacock) के रूप में मोर पंख धारण किया। इसलिए कान्हा ही को मोर मुकुटधारी के नाम से भी जाना जाता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।