Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Janmashtami 2024: भगवान कृष्ण को क्यों कहा जाता है त्रिभंगी? यहां जानें उनके इस स्वरूप की महिमा

जन्माष्टमी का पर्व बेहद ही शुभ माना जाता है जिसे कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा का विधान है। इस साल यह पर्व 26 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन लोग व्रत रखते हैं और विभिन्न पूजा अनुष्ठान का पालन करते हैं जिनमें से एक दही हांडी परंपरा भी है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 23 Aug 2024 03:24 PM (IST)
Hero Image
Janmashtami 2024:श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है त्रिभंगी लाल?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पर्व जन्माष्टमी जल्द आने ही वाला है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी या श्रीजयंती के नाम से भी जाना जाता है, यह शुभ दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने से जीवन की सभी बाधाओं का नाश होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2024) भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 26 अगस्त को मनाई जाएगी।

बता दें, जन्माष्टमी का सबसे बड़ा उत्सव मथुरा, वृंदावन और द्वारका में मनाया जाता है - माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म यहीं हुआ था और उन्होंने अपना बचपन यहीं गुजारा था। वहीं, आज हम कान्हा के एक ऐसे स्वरूप की चर्चा करेंगे, जिसे आपने उनके मंदिरों में अधिकतर देखा होगा, तो चलिए जानते हैं।

यह भी पढ़ें: Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर करें इन चीजों का दान, खुशियों से भर जाएगा जीवन

श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है त्रिभंगी लाल?

भगवान कृष्ण को कई नामों से जाना जाता है, जिनकी अपनी-अपनी महिमा है। कान्हा के सबसे प्रचलित नामों में से एक त्रिभंगी लाल भी है, जिसका कारण यह है कि वे तीन जगह से टेढ़े होकर खड़े होते हैं। दरअसल, वह शरीर के तीन अलग-अलग हिस्सों यानी गर्दन, कमर और घुटने को मोड़कर खड़े होते हैं, जो उनकी कई प्रतिमा में भी देखने को मिलता है।

शरीर की यह मुद्रा एस वक्र में दिखती है। श्री कृष्ण का यह स्वरूप बेहद ही निराला है। ऐसा कहा जाता है कि उनके इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों का नाश होता है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है।

यह भी पढ़ें: Janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर बदलेगा इन राशियों के जीवन का हाल, हो जाएंगे मालामाल

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।