Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Jaya Ekadashi 2024: इस दिन मनाई जाएगी जया एकादशी, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 19 फरवरी को सुबह 08 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी और 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। व्रती 20 फरवरी को भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना कर सकते हैं। वहीं पारण 21 फरवरी को सुबह 06 बजकर 55 मिनट से 09 बजकर 11 मिनट तक कर सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 16 Jan 2024 06:45 PM (IST)
Hero Image
Jaya Ekadashi 2024: इस दिन मनाई जाएगी जया एकादशी, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jaya Ekadashi 2024: हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी के अगले दिन जया एकादशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु का सुमिरन किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में एकादशी व्रत के पुण्य फल का वर्णन है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के सकल मनोरथ यथाशीघ्र सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। वैष्णव समाज के अनुयायी एकादशी व्रत उत्सव की तरह मनाते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त, योग एवं पूजा विधि जानते हैं-

यह भी पढ़ें: Grahan Date 2024: साल 2024 में कब-कब लगेंगे ग्रहण? यहां नोट करें तारीख और सूतक का समय

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 19 फरवरी को सुबह 08 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी और 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। व्रती 20 फरवरी को भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना कर सकते हैं। वहीं, पारण 21 फरवरी को सुबह 06 बजकर 55 मिनट से 09 बजकर 11 मिनट तक कर सकते हैं।

शुभ योग

जया एकादशी के दिन प्रीति योग, आयुष्मान योग त्रिपुष्कर योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। अतः माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि बेहद शुभ है। इसके अलावा, बव और बालव करण का भी योग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

पूजा विधि

जया एकादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठें। इस समय भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। इस समय अंजलि यानी हाथ में जल लेकर आचमन करें। अब पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले फल, फूल, खीर, सफेद मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि और कृपा की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर पारण करें।

यह भी पढ़ें: जानें, कब, कहां, कैसे और क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा और क्या है इसकी पौराणिक कथा?

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'