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Jaya Parvati Vrat 2024: इस दिन रखा जाएगा जया पार्वती व्रत, ऐसे करें इसकी पूजा

जया पार्वती व्रत हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह व्रत 19 जुलाई 2024 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस उपवास को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही विवाह से जुड़ी सभी समस्याओं का अंत होता है तो चलिए इस दिन से जुड़ी कुछ मुख्य बातों को जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 12 Jul 2024 02:10 PM (IST)
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Jaya Parvati Vrat 2024: जया पार्वती व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में जया पार्वती व्रत बेहद पुण्यदायी माना जाता है। इसे गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर यह व्रत रखा जाता है। इसे अविवाहित महिलाएं मनचाहे वर की कामना के लिए रखती हैं और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। इस उपवास को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति के साथ विवाह से जुड़ी सभी समस्याओं का अंत होता है। इस साल यह व्रत 19 जुलाई को रखा जाएगा।

जया पार्वती व्रत का शुभ मुहूर्त

जया पार्वती व्रत त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 18 जुलाई को रात 08 बजकर 44 मिनट पर होगी। इसके साथ ही त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 19 जुलाई को शाम 07 बजकर 41 मिनट पर होगी। पंचांग को देखते हुए इस साल जया पार्वती व्रत 19 जुलाई, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।

ऐसे करें जया पार्वती व्रत की पूजा

इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा का खास महत्व है। ऐसे में सबसे पहले उठकर पवित्र स्नान करें। उनकी प्रतिमा को गंगाजल से साफ करें। फिर सफेद चंदन और कुमकुम से उनका तिलक करें। उनके समक्ष देसी घी का दीया जलाएं। सफेद और लाल फूलों की माला अर्पित करें। ऋतु फल और खीर का भोग लगाएं।

माता पार्वती को शृंगार की सामग्री जैसे- साड़ी, सिन्दूर, मेहंदी, चूड़ियां और हल्दी आदि चीजें अर्पित करें। कुंवारी कन्याएं देवी पार्वती को सिन्दूर चढ़ाएं, इससे उन्हें मनवांछित वर की प्राप्ति होगी।

पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ वैदिक मंत्रों का जाप करें। फिर भाव के साथ आरती करें। जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं और दक्षिणा प्रदान करें।

जया पार्वती व्रत पूजन मंत्र

1. ॐ महागौरी नमः।

2.देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।