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Jyeshtha Month 2024: कब से शुरू हो रहा है ज्येष्ठ माह, जानें इसका धार्मिक महत्व और नियम

Jyeshtha Month 2024 Start Date हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह (Jyeshtha Month 2024) का महत्व है। इस विशेष माह में संकटमोचन हनुमान जी और सूर्य देव की उपासना करने का विधान है। इस माह में गर्मी अधिक होती है और सूर्य के तेज प्रकाश के कारण नदी व तालाब सूख जाते हैं। इसी वजह से ज्येष्ठ माह में जल का अधिक महत्व है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 12 May 2024 11:58 AM (IST)
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Jyeshtha Month 2024: कब से शुरू हो रहा है ज्येष्ठ माह, जानें इसका धार्मिक महत्व और नियम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jyeshtha Month 2024 Start Date And End Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह का समापन पूर्णिमा तिथि से होता है और इसके बाद हिंदू पंचांग का तीसरा महीना यानी ज्येष्ठ माह की शुरुआत होती है। इस माह में गर्मी अधिक होती है और सूर्य के तेज प्रकाश के कारण नदी व तालाब सूख जाते हैं। इसी वजह से ज्येष्ठ माह में जल का अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में हनुमान जी, सूर्य देव और वरुण देव की पूजा करने का विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है ज्येष्ठ माह और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।  

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इस दिन से शुरू होगा ज्येष्ठ माह 2024 (Jyestha Month 2024 Start Date)

पंचाग के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ माह की शुरुआत 24 मई 2024 से होगी और इसका समापन 23 जून 2024 को होगा। मान्यता है कि इस माह में जल का दान करने से जातक को सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन सुखमय होता है।  

ज्येष्ठ माह का महत्व (Jyeshta Month 2024 Significance)

धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह संकटमोचन हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी। इसलिए इस माह में पड़ने वाले मंगलवार को व्रत करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है।  

ज्येष्ठ माह में करें ये कार्य (Jyestha Month 2024 Niyam)

  • ज्येष्ठ माह में अधिक गर्मी पड़ने की वजह से पानी की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में व्यक्ति को पानी का संरक्षण करना चाहिए।
  • इस माह में दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जल की सेवा करने से इंसान को पितरों का आशीर्वाद मिलता है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
  • ज्येष्ठ माह में पशु-पक्षियों के लिए भोजन और जल की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे  पुण्य की प्राप्ति होती है।
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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।