Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ये एक काम दिलाएगा लाभ, भरे रहेंगे आपके धन भंडार
हिंदू पंचांग के पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) तिथि पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान करने का भी विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में आप पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा के दौरान इस एक कार्य के द्वारा भगवान श्री हरि की कृपा के पात्र बन सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jyeshtha Purnima 2024: पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है। इस दिन साधक जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना कर शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं। ऐसे में आप पूजा के दौरान भगवान विष्णु को समर्पित श्री हरि स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपको विष्णु जी के साथ-साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त हो सकती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं श्री हरि स्तोत्र।
पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Jyeshtha Purnima 2024 Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 21 जून 2024 को प्रातः 06 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 22 मई 2024 को प्रातः 05 बजकर 07 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 21 जून, शुक्रवार को किया जाएगा। वहीं, 22 जून, शनिवार के दिन स्नान-दान आदि किया जाएगा।
श्री हरि स्तोत्र (Shri Hari Stotram)
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालंनभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासंगदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनंजगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानंयह भी पढ़ें - Ashadha Month 2024: आषाढ़ माह में जरूर करें इस वृक्ष की पूजा, जानें नियम
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशंसदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठंसदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥फलश्रुतिइदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तंपठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥यह भी पढ़ें - Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अवश्य करें चंद्र देव की पूजा, मिलेगा सुख और शांति का आशीर्वाद
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