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Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर ये एक काम दिलाएगा लाभ, भरे रहेंगे आपके धन भंडार

हिंदू पंचांग के पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) तिथि पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान करने का भी विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में आप पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा के दौरान इस एक कार्य के द्वारा भगवान श्री हरि की कृपा के पात्र बन सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 21 Jun 2024 05:45 PM (IST)
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Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jyeshtha Purnima 2024: पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है। इस दिन साधक जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना कर शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं। ऐसे में आप पूजा के दौरान भगवान विष्णु को समर्पित श्री हरि स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो इससे आपको विष्णु जी के साथ-साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त हो सकती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं श्री हरि स्तोत्र।

पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Jyeshtha Purnima 2024 Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 21 जून 2024 को प्रातः 06 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 22 मई 2024 को प्रातः 05 बजकर 07 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 21 जून, शुक्रवार को किया जाएगा। वहीं, 22 जून, शनिवार के दिन स्नान-दान आदि किया जाएगा।

श्री हरि स्तोत्र (Shri Hari Stotram)

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं

शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

नभोनीलकायं दुरावारमायं

सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥

सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं

जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं

हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥

रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं

जलान्तर्विहारं धराभारहारं

चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं

ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥

जराजन्महीनं परानन्दपीनं

समाधानलीनं सदैवानवीनं

जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं

त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥

कृताम्नायगानं खगाधीशयानं

विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

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स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं

निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥

समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं

जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं

सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥

सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं

गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

सदा युद्धधीरं महावीरवीरं

महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥

रमावामभागं तलानग्रनागं

कृताधीनयागं गतारागरागं

मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं

गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥

फलश्रुति

इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं

पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:

स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं

जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।