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Jyeshtha Purnima 2024: ब्रह्म और शुक्ल समेत इन 03 योग में मनाई जाएगी ज्येष्ठ पूर्णिमा, प्राप्त होगा कई गुना फल

ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण देव की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि श्री सत्यनारायण देव की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि शांति और खुशहाली आती है। साथ ही व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Wed, 12 Jun 2024 04:46 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2024 04:46 PM (IST)
Jyeshtha Purnima 2024: ब्रह्म और शुक्ल समेत इन 03 शुभ योग में मनाई जाएगी ज्येष्ठ पूर्णिमा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jyeshtha Purnima 2024: सनातन पंचांग के अनुसार, 22 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। इस वर्ष वट पूर्णिमा व्रत 21 जून को मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित स्त्रियां अखंड सुहाग के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही विवाहित महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है। इसके अलावा, व्रती के परिवार पर आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ पूर्णिमा पर दुर्लभ शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, कई अन्य शुभकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-

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ज्येष्ठ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर होगा। इसके लिए 21 जून को वट पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। इसके अगले दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा मनाई जाएगी। साधक सुविधा अनुसार 22 जून को जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

ज्येष्ठ पूर्णिमा योग

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सबसे पहले शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन संध्याकाल 04 बजकर 45 मिनट पर होगा। इसके बाद ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। ब्रह्म योग पूर्ण रात्रि है। ज्योतिष शुक्ल और ब्रह्म योग को शुभ मानते हैं। इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, सौभाग्य और धन में वृद्धि होती है। इसके अलावा, शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण प्रातः काल 06 बजकर 38 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 23 जून को सुबह 05 बजकर 12 मिनट पर होगा।    

पूजा विधि

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इस समय लक्ष्मी नारायण जी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। अब गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। अब पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। आप पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण देव की पूजा भी कर सकते हैं। भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, मिष्ठान, चावल की खीर, हल्दी, केसर आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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