Kaal Sarp Dosh: जानिए क्या है कालसर्प दोष के लक्ष्ण और इससे छुटकारा पाने के वैदिक उपाय?
Kaal Sarp Dosh ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बता दें कि इस अशुभ दोष के कुछ लक्षण और उपाय दोनों ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं। आइए जानते हैं।
कुंडली में कब बनता है कालसर्प दोष?
ज्योतिषाचार्य मनोज थपलियाल बताते हैं कि कुंडली में राहु और केतु के अशुभ स्थिति के कारण कालसर्प दोष का निर्माण होता है। जब किसी जातक की कुंडली में मौजूद मुख्य ग्रह राहु और केतु के मध्य में आ जाते हैं, तब कालसर्प दोष लग जाता है। कुंडली में कालसर्प दोष के निर्माण से जातकों पर अन्य ग्रहों के द्वारा पड़ रहे शुभ प्रभाव कम हो जाते हैं और जातकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।कालसर्प दोष के लक्ष्ण क्या हैं?
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ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कालसर्प दोष के निर्माण से जातक को एक ही समय पर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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इसके साथ कुंडली में इस दोष के निर्माण से संतान से जुड़े कष्टों का सामना करना पड़ता है और नौकरी के क्षेत्र में भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
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कालसर्प दोष का एक लक्ष्ण यह भी हैं कि जिन लोगों को सपने में मृत्यु या सांप अधिकांश समय दिखाई देते हैं, उनपर इस दोष का प्रभाव पड़ने का भय बढ़ जाता है।
कालसर्प दोष से बचने के लिए जरूर करें ये उपाय
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जिन जातकों की कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उन्हें नियमित रूप से भगवान विष्णु की उपासना करना चाहिए और शनिवार के दिन बहते हुए जल में कोयले के टुकड़े प्रवाहित करना चाहिए। ऐसा करने से इस दोष का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
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शास्त्रानुसार सावन मास में भगवान शिव को जल में मिला दूध अर्पित करना चाहिए और नितदिन कम से कम 3 माला महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को लाभ मिलता है।
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ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन पीपल पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए और इसके साथ इस वृक्ष की कम से कम 7 बार परिक्रमा करें। माना जाता है कि ऐसा करने से इस दोष का प्रभाव कम हो जाता है।