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Ahoi Ashtami 2024: कब और क्यों मनाई जाती है अहोई अष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

धार्मिक मत है कि कार्तिक माह में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साधक श्रद्धा भाव से कार्तिक महीने में भगवान विष्णु संग तुलसी माता की पूजा करते हैं। इस महीने में अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2024) भी मनाई जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 20 Oct 2024 04:28 PM (IST)
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Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, संध्याकाल में तारों को देखकर व्रत खोलती हैं। इस व्रत को करने से पुत्रवती महिलाओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर महिलाएं विधि-विधान से अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami Shubh Muhurat)

हर वर्ष कार्तिक माह में अहोई अष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 25 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 58 पर समाप्त होगी। अतः 24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी मनाई जाएगी।

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पूजा का शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami Puja Timing)

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी अहोई अष्टमी को पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को संध्याकाल 05 बजकर 42 मिनट से लेकर 06 बजकर 59 मिनट तक है। संध्याकाल में तारा देखने का शुभ मुहूर्त 06 बजकर 06 मिनट है। इस समय व्रती तारों को देखकर व्रत खोल सकती हैं। वहीं, अहोई अष्टमी को चन्द्रोदय समय देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर है।

अहोई अष्टमी शुभ योग (Ahoi Ashtami Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो अहोई अष्टमी पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर साध्य योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु पुष्य योग के भी संयोग बन रहे हैं।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 28 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट पर

चंद्रोदय- रात 11 बजकर 55 मिनट पर

चंद्रास्त- दिन 01 बजकर 25 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 46 मिनट से 05 बजकर 37 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 08 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।