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Anant Chaturdashi 2024: भाद्रपद माह में कब मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी? श्रीहरि की पूजा से सभी मुरादें होंगी पूरी

सनातन धर्म में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2024) और चौदस के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस तिथि पर गणेश विसर्जन किया जाता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Thu, 29 Aug 2024 10:40 AM (IST)
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Anant Chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी की पूजा से सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। प्रत्येक साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन व्रत रख कर प्रभु की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। आइए जानते हैं भाद्रपद माह की अनंत चतुर्दशी की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

अनंत चतुर्दशी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में अनंत चतुर्दशी का पर्व 17 सितंबर को मनाया जाएगा।

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अनंत चतुर्दशी पूजा विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और इसके बाद स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। चौकी पर श्रीहरि और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद प्रभु को केसर, कुमकुम, हल्दी, फूल, अक्षत, फल और भोग समेत आदि चीजों को चढ़ाएं। एक कच्ची डोरी लेकर उसमें चौदह गांठ लगाएं और इसे भगवान श्रीहरि को अर्पित करें। इस दौरान ऊँ अनंताय नमः मंत्र का सच्चे मन से जप करें। फिर इसे अपने हाथ की कलाई पर बांध दें। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को आरोग्य का वरदान मिलता है। साथ ही सभी तरह के पापों का नाश होता है। दीपक जलाकर आरती करें और कथा का पाठ करें। अब प्रभु को फल और मिठाई समेत चीजों का भोग लगाएं।

इन मंत्रों का करें जप

विष्णु भगवते वासुदेवाये मंत्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

विष्णु अष्टाक्षर मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ नमो नारायणाय

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