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Gopashtami 2024: कार्तिक माह में कब है गोपाष्टमी? जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में कार्तिक माह को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस माह में कई खास पर्व मनाए जाते हैं। इनमें गोपाष्टमी (Gopashtami 2024) का त्योहार भी शामिल है। पंचांग के अनुसार हर साल गोपाष्टमी को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गायों की पूजा (Gopashtami 2024 Puja Vidhi) होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 03 Nov 2024 11:32 AM (IST)
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Gopashtami 2024: इस मुहूर्त में करें पूजा (Pic Credit-Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मथुरा समेत देशभर में गोपाष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से हर साल मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने गौचारण शुरू किया था। इसलिए इसी तिथि पर गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। श्रीमदभागवत में वर्णन देखने को मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गायों के संग खेला करते थे और उन्हें गायों से बेहद प्रेम था। आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे गोपाष्टमी (Gopashtami 2024 Date) की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

गोपाष्टमी 2024 डेट और मुहूर्त (Gopashtami 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचाग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 08 नवंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 09 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में गोपाष्टमी का पर्व 09 नवंबर को मनाया जाएगा।

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 54 मिनट से 05 बजकर 47 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 57 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक।

अशुभ समय

राहुकाल - सुबह 09 बजकर 22 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट तक।

गुलिक काल - सुबह 06 बजकर 39 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक।

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गोपाष्टमी पूजा विधि (Gopashtami Puja Vidhi)

  • इस दिन सुबह जल्दी उठें।
  • स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  • बछड़ों और गायों को स्नान कराएं।
  • सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इसके बाद गाय और बछड़ों का तिलक करें।
  • चौकी पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को विराजमान करें।
  • दीपक जलाकर भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की आरती करें।
  • जीवन में सुख-शांति की कामना करें।
  • भगवान कृष्ण को माला और भोग प्रसाद चढ़ाएं।
  • फिर गाय को रोटी गुड़, फल और मिठाई खिलाएं।
  • इसके बाद भगवान कृष्ण और गौ माता से आशीर्वाद लें।
  • अंत में लोगों को श्रद्धा अनुसार दान करें।

इन मंत्रों का करें जप

सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता, सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस,

तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते, मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी!!

सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातरः।

गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।