Hariyali Amavasya 2024: हरियाली अमावस्या को लेकर न हों कन्फ्यूज, नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त
इस बार हरियाली अमावस्या की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ जानकार लोग हरियाली अमावस्या 03 अगस्त की बता रहे हैं। वहीं कुछ लोग हरियाली अमावस्या 04 अगस्त (Hariyali Amavasya 2024) को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि हरियाली अमावस्या किस तारीख को मनाई जाएगी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Hai Hariyali Amavasya 2024: सनातन शास्त्रों में अमावस्या तिथि का बेहद खास महत्व बताया गया है। यह पर्व भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। साल भर में कुल 12 अमावस्या आती हैं, जिनका अपना-अपना महत्व है। सावन में मनाई जाने वाली हरियाली अमावस्या को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह त्योहार महादेव के प्रिय महीना यानी सावन में मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
हरियाली अमावस्या 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Hariyali Amavasya 2024 Date Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, सावन माह की अमावस्या तिथि 03 अगस्त, 2024 को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो रही है, जिसका समापन 04 अगस्त, 2024 को दोपहर 04 बजकर 42 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या रविवार, 04 अगस्त को मनाई जाएगी।
हरियाली अमावस्या पूजा विधि (Hariyali Amavasya Puja Vidhi)
अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। मंदिर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव शुद्ध करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को विराजमान करें। अब महादेव का अभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा और फूल समेत आदि चीजें अर्पित करें और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें। इसके पश्चात देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और शिव मंत्रों का जप करें। खीर, फल और हलवे का भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। अंत में महादेव से जीवन में सुख-शांति की कामना करें। इस दिन श्रद्धा अनुसार दान करना चाहिए।
भगवान शिव के मंत्र (Lord Shiva Mantra)
1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।
4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
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