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Indira Ekadashi 2024 Bhog: इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को लगाएं ये भोग, जीवन में बनी रहेगी बरकत, नोट करें पारण का समय

इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2024) पर भगवान विष्णु की पूजा होती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है जो भक्त इस शुभ दिन का उपवास रखते हैं उन्हें सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस साल यह एकादशी कब मनाई जाएगी? आइए इसके बारे में जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 22 Sep 2024 10:09 AM (IST)
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Indira Ekadashi Bhog 2024: इंदिरा एकादशी के भोग।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इंदिरा एकादशी भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। पूरे साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं, जिनमें से सभी एकादशी का अपना एक खास महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के 11वें दिन मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मौके पर भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है, तो आइए श्री हरि को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय भोग (Indira Ekadashi Bhog 2024) के बारे में जानते हैं, जिससे जीवन में बरकत और समृद्धि बनी रहे।

इंदिरा एकादशी भोग (Indira Ekadashi Bhog 2024)

इंदिरा एकादशी में श्री हरि विष्णु को पंजीरी, केसर की खीर, पंचामृत, बेसन के लड्डू आदि चीजों का भोग लगा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन भोग को चढ़ाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। साथ ही सभी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। एकादशी का दिन श्री हरि को बेहद प्रिय है। ऐसे में उन्हें उनकी ही प्रिय चीजों का भोग लगाया, जाए तो व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। यही नहीं जीवन में बरकत बनी रहती है।

प्रसाद अर्पित करते समय करें इस मंत्र का जाप (Indira Ekadashi Bhog Mantra 2024)

  • त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शनिवार 27 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन रविवार 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसके साथ ही 29 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 08 बजकर 36 मिनट के बीच व्रत का पारण किया जा सकता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।