Kaal Bhairav Jayanti 2024: कब है काल भैरव जयंती? नोट करें पूजा का समय और नियम
काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti 2024) का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त पूजा-पाठ और व्रत रखते हैं। वहीं तंत्र विद्या सीखने वाले साधक काल भैरव भगवान की विशेष आराधना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भैरव बाबा बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और अपने सभी भक्तों के दुखों को दूर करते हैं तो आइए इस दिन से जुड़ी बातों को जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में काल भैरव जयंती का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस शुभ दिन पर लोग भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव जी की पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 22 नवंबर, 2024 को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर पूजा-पाठ और व्रत करने से जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है। इसके साथ ही घर में खुशहाली आती है, तो चलिए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
कब है काल भैरव जयंती? (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग (Panchang) के अनुसार, काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष या अगहन महीने (Aghan 2024) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर 2024 को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 23 नवंबर को रात के 7 बजकर 56 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए काल भैरव जयंती इस साल 22 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।काल भैरव जयंती पूजा विधि (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। भगवान शिव (Lord Shiva) के उग्र अवतार यानी भैरव बाबा का ध्यान करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। पूजा कक्ष की सफाई अच्छी तरह से करें। भगवान काल भैरव की एक प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं। फूल-माला अर्पित करें। मीठी रोटी और हलवे का भोग लगाएं। कालभैरव अष्टकम और मंत्रों का पाठ करें। आरती से पूजा को पूरी करें। शंखनाद करें। भगवान कालभैरव का आशीर्वाद लें। शाम को भी विधिपूर्वक काल भैरव जी की पूजा करें।
मंदिर जाएं और चौमुखी दीपक जलाएं। गरीबों को भोजन खिलाएं। तामसिक चीजों से परहेज करें। कुत्तों को मीठी रोटी खिलाएं। ऐसा करने से भैरव बाबा की कृपा प्राप्त होगी।
काल भैरव पूजन मंत्र (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Mantra)
- ॐ काल भैरवाय नमः।।
- ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः।।
- ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
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