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Kajari Teej 2024: भाद्रपद महीने में क्यों मनाया जाता है कजरी तीज का पर्व, मां पार्वती ने की थी इसकी शुरुआत

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज व्रत को हरियाली और हरितालिका तीज की तरह ही किया जाता है। पूजा के दौरान शिव जी और मां पार्वती को विशेष चीजों का भोग लगाना चाहिए। चलिए जानते हैं कजरी तीज व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 21 Aug 2024 10:12 AM (IST)
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Kajari Teej 2024: कजरी तीज व्रत से मिलता है मनचाहा वर
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kajari Teej 2024 Vrat Niyam: पंचांग के अनुसार, भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित कजरी तीज का पर्व 22 अगस्त (Kajari Teej 2024 Date) को मनाया जाएगा। यह व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर किया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर कजरी तीज का पर्व क्यों मनाया जाता है?

ये है वजह

देशभर में कजरी तीज व्रत कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, कजरी तीज व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने किया था। उनके व्रत और तपस्या से महादेव प्रसन्न हुए थे, जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी के रूप में माता पार्वती को स्वीकार किया था। धार्मिक मान्यता है कि कजरी तीज व्रत को करने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और जल्द विवाह के योग बनते हैं। वहीं, सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इन्हीं सभी कारणों से कजरी तीज का व्रत किया जाता है।

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इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा (Kajari Teej Puja Time)

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 21 अगस्त, 2024 को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर होगा और इसका समापन 22 अगस्त, 2024 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 22 अगस्त को कजरी ठीक व्रत का किया जाएगा।

मां पार्वती के मंत्र (Maa Parvati Mantra)

  • सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
  • कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
  • ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।
  • ॐ गौरीशंकराय नमः।
  • ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः

ध्यान मंत्र

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम: ।

नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणता:स्म ताम्।।

श्रीगणेशाम्बिकाभ्यां नम:, ध्यानं समर्पयामि।

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।