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Kartik Purnima 2024: कब मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा? इस मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगे श्रीहरि

सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2024) तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस खास तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना शुभ मुहूर्त में की जाती है। इसके अलावा इस दिन गंगा स्नान और दान भी किया जाता है। मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक के सभी पापों का नाश होता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 22 Oct 2024 03:51 PM (IST)
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Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन शास्त्रों में पूर्णिमा के पर्व का विशेष वर्णन देखने को मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इसलिए श्रीहरि और मां लक्ष्मी के संग चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। कार्तिक माह के अंत में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2024) मनाई जाती है। यदि आप भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने चाहते हैं, तो इस दिन गंगा स्नान जरूर करें। मान्यता है कि इससे जातक को मनचाहा करियर मिलता है और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

कार्तिक पूर्णिमा 2024 डेट और टाइम (Kartik Purnima 2024 Date and Time)

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 16 नवंबर को देर रात्रि को 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर (Sharad Purnima 2024 Date) को मनाया जाएगा।

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पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 04 बजकर 51 मिनट पर

चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 05 मिनट पर

चंद्रास्त- नहीं।

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 54 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - 15 नवंबर को दोपहर 11 बजकर 39 मिनट से 16 नवंबर को मध्य 12 बजकर 33 मिनट पर।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)

पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। यदि संभव हो, तो इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। चौकी पर श्रीहरि और मां लक्ष्मी की मूर्ति को विराजमान करें।

इसके बाद फल, फूल, वस्त्र समेत आदि चीजों को अर्पित करें। मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें। प्रभु से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में विशेष चीजों का दान करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।