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Karwa Chauth 2024: पहली बार रख रही हैं करवा चौथ का व्रत तो इन बातों का रखें ध्यान, भूलकर भी न करें गलतियां

करवा चौथ का पर्व बहुत ही विशेष माना जाता है। इस पवित्र दिन पर महिलाएं अपने पतियों की सुरक्षा के लिए कठिन उपवास का पालन करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इसका (Karwa Chauth 2024) पालन करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही परिवार में प्यार बढ़ता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 13 Oct 2024 01:43 PM (IST)
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Karwa Chauth 2024: पहली बार रख रही हैं करवा चौथ का व्रत तो इन बातों का रखें ध्यान।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। करवा चौथ एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है, जो विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं। यह पर्व उत्तर भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है और इसमें विभिन्न रीति-रिवाज और अनुष्ठान शामिल होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं इस कठिन व्रत (Karwa Chauth 2024) का पालन करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

वहीं, जो महिलाएं शादी के बाद पहली बार इस व्रत को रखने जा रही हैं, उन्हें कुछ खास नियमों का पालन जरूर करना चाहिए, तो आइए उन नियमों के बारे में जानते हैं।

पहली बार रख रही हैं करवा चौथ तो इन बातों का रखें ध्यान

  • करवा चौथ पर पवित्र स्नान करें।
  • इस दिन सूर्योदय से पहले सरगी लें।
  • नवविवाहित महिलाएं 16 शृंगार अवश्य करें।
  • इस शुभ अवसर पर शादी का जोड़ा पहनें।
  • निर्जला व्रत का पालन अवश्य करें।
  • इस तिथि पर च्रंदमा को अर्घ्य जरूर दें।
  • विधिवत पूजा करें और करवा चौथ कथा जरूर सुनें।
  • बड़ों का आशीर्वाद लें।
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च्रंदमा पूजन मुहूर्त ( Chandarma Time Or Puja Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ की पूजा शाम को 05 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 02 मिनट तक के बीच होगी। वहीं, इस दिन चांद निकलने (Chand Nikalne Ka Time)का समय शाम 07 बजकर 54 मिनट का है। इस दौरान आप चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं।

साथ ही पूजा के बाद अपने व्रत का पारण कर सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस तिथि पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होगा, जिसके चलते यह दिन बेहद शुभ माना जा रहा है।

भगवान चंद्रमा के पूजन मंत्र

  • 'ॐ गणेशाय नमः'
  • 'ॐ सोमाय नमः'
  • 'मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
  • 'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।