Rishi Panchami 2024: इस सरल विधि से करें ऋषि पंचमी व्रत का पारण, सभी समस्याओं का होगा अंत
सनातन धर्म में ऋषि पंचमी का पर्व सप्त ऋषियों की उपासना के लिए समर्पित है। इस व्रत को विवाहित महिलाओं का द्वारा किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। ऋषि पंचमी के दिन व्रत कथा (Rishi Panchami Katha) का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस लेख में जानते हैं ऋषि पंचमी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rishi Panchami 2024: पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के अगले दिन होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इस व्रत (Rishi Panchami Vrat Vidhi) का पारण न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए शुभ मुहूर्त में ऋषि पंचमी व्रत का पारण करना चाहिए। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी व्रत का पारण किस तरह करना चाहिए?
ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami Puja Time)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पंचमी तिथि की शुरुआत 07 सितंबर 2024 को शाम 05 बजकर 37 मिनट से हो गई है। वहीं, इस तिथि का समापन 08 सितंबर को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में ऋषि पंचमी का व्रत आज यानी 08 सितंबर (Rishi Panchami Vrat 2024 Date) को किया जा रहा है।
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ऋषि पंचमी व्रत पारण की विधि (Rishi Panchami Vrat Paran Vidhi)
ऋषि पंचमी व्रत के अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर की सफाई करें और सप्त ऋषियों की प्रतिमा के सामने देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। अब सप्त ऋषियों को फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। इसके बाद गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र समेत आदि चीजों का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को जीवन की सभी समस्या से मुक्ति मिलती है। अंत में सात्विक भोजन करें।इन बातों का रखें ध्यान (Rishi Panchami Vrat Niyam)
- एक विशेष बात का ध्यान जरूर रखें। अगर आप ऋषि पंचमी व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन पूजा के दौरान ऋषि पंचमी व्रत कथा का पाठ करना न भूलें। कथा का पाठ करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- किसी से लड़ाई झगड़ा न करें।
- किसी के प्रति मन में गलत विचार धारण न करें।
- साधु-संत का अपमान नहीं करना चाहिए।
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