Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: 1 या 2 अक्टूबर, कब है सर्वपितृ अमावस्या? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन
सर्वपितृ अमावस्या का हिंदुओं में बहुत महत्व है। इस दिन पर लोग अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार यह वह समय (Sarva Pitru Amavasya 2024 Date) है जब पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और लोगों को अपने पूर्वजों के नाम पर ब्राह्मणों को भोजन कपड़े और धन का दान करते हैं। साथ ही उनके नाम से तर्पण करते हैं जिससे उन्हें मोक्ष प्राप्त हो सके।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अमावस्या का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। वहीं, अगर ये पितृ पक्ष के दौरान आए, तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। यह अमावस्या पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, जो पितृ पक्ष के समापन का प्रतीक है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2024) कब मनाई जाएगी? इसकी डेट को लेकर लोगों के मन में थोड़ी कन्फ्यूजन बनी हुई है, तो चलिए इस कन्फ्यूजन को हम यहां दूर करते हैं और इसकी सही तिथि और समय जानते हैं।
1 या 2 अक्टूबर कब है सर्वपितृ अमावस्या? (Sarva Pitru Amavasya 2024 Date And Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इसका समापन 03 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए सर्वपितृ अमावस्या बुधवार, 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें मोक्ष प्रदान करता है।तर्पण करने की विधि (Sarva Pitru Amavasya 2024 Tarpan Vidhi)
पितृ पक्ष के दौरान तर्पण (Sarva Pitru Amavasya 2024 Significance) करने के लिए एक जानकार पुजारी से मार्गदर्शन लें। पूर्वजों का तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करें। इसके बाद तीन मुट्ठी का उपयोग करके अपने अंगूठे और पहली उंगली के मध्य भाग से जल अर्पित करें। तर्पण के लिए कुश, अक्षत, जौ और काले तिल का उपयोग करें। इसके बाद पितरों के प्रार्थना मंत्र का जाप करें। जौ और कुश से ऋषियों के लिए तर्पण करें। इसके पश्चात उत्तर दिशा की ओर मुख करके जौ और कुश से मानव तर्पण करें।
अंत में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके काले तिल और कुश से पितरों का तर्पण करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमायाचना करें। तर्पण के बाद जरूरतमंदों को भोजन अवश्य खिलाएं।
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