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Tulsi Vivah 2024 Date: इस पावन दिन मनाया जाएगा तुलसी विवाह का पर्व, नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि

तुलसी विवाह का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। यह हर साल कार्तिक माह में आयोजित किया जाता है। इस दिन पर लोग व्रत रखते हैं और तुलसी जी के साथ भगवान शालिग्राम की पूजा करते हैं जब इस दिन को कुछ ही दिन रह गए हैं तो आइए इस दिन (Kab Hai Tulsi Vivah 2024) की पूजा विधि जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 04 Nov 2024 10:28 AM (IST)
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Tulsi Vivah 2024 Date: तुलसी विवाह डेट और शुभ मुहूर्त।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। तुलसी पूजन का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। घर में तुलसी का पौधा होना शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही इसमें देवी लक्ष्मी का वास भी होता है। वहीं, हर साल कार्तिक माह में देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम (भगवान विष्णु का एक रूप) का विवाह आयोजित किया जाता है, जिसे सनातन धर्म में बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह के दिन भक्त व्रत रखते हैं और तुलसी जी के साथ भगवान शालिग्राम की पूजा-अर्चना करते हैं।

इसके अलावा मंदिरों और घरों में तुलसी विवाह समारोह का आयोजन भी किया जाता है, जब इस पर्व को कुछ ही दिन (Tulsi Vivah 2024 Date) शेष रह गए हैं, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

तुलसी विवाह डेट और शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah 2024 Date And Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की द्वादशी तिथि की शुरुआत दिन मंगलवार 12 नवबर, 2024 को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी। वहीं, इस तथि का समापन दिन बुधवार 13 नवंबर, 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 13 नवंबर को किया जाएगा।

पूजा विधि (Tulsi Vivah 2024 Puja Vidhi)

भक्त इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। फिर पूजा कक्ष को साफ करें। फिर शंख घंटी और मंत्रों का जाप करते हुए भगवान विष्णु को जगाएं। इसके बाद उनकी प्रार्थना करें। शाम को अपने घरों और मंदिरों को सजाएं। खूब सारे दीपक जलाएं। गोधूलि बेला के दौरान शालिग्राम जी और तुलसी विवाह का आयोजन करें। मंडप बनाएं। तुलसी जी का 16 शृंगार करें। शालिग्राम जी को भी गोपी चंदन व पीले वस्त्र से सजाएं। उन्हें फूल, माला, फल, पंचामृत धूप, दीप, लाल चुनरी, शृंगार की सामग्री और मिठाई आदि चीजें अर्पित करें।

वैदिक मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा का समापन करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। फिर प्रसाद का वितरण घर के लोगों व अन्य सदस्यों में करें। इसमें आप घर के बड़े-बुजुर्ग या फिर किसी जानकार पुरोहित की मदद ले सकते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।