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Sankashti Chaturthi की पूजा थाली में शामिल करें गणपति के प्रिय भोग, मिलेगा मनचाहा कार्यक्षेत्र

पंचांग के अनुसार आश्विन माह में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 21 सितंबर को है। सनातन शास्त्रों में गौरी पुत्र गणेश की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व बताया गया है। गणपति की पूजा से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं। इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की उपसना से सभी तरह के कष्टों से छुटकारा मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 18 Sep 2024 05:25 PM (IST)
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Lord Ganesh: भगवान गणेश को लगाएं इन चीजों का भोग

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2024) का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही प्रभु को प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से साधक को मनचाही नौकरी मिलती है और जीवन में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Vighnaraja Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 सितंबर को रात्रि में 09 बजकर 15 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 21 सितंबर को शाम 06 बजकर 13 मिनट पर होगा। ऐसे में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 21 सितंबर को मनाई जाएगी।

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इन चीजों का लगाएं भोग

  • विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा को खास चीजों का भोग लगाना चाहिए। इस दिन पूजा के दौरान प्रभु को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। मान्यता है कि गणेश जी को लड्डू अर्पित करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
  • इसके अलावा पूजा थाली में मोदक और मिठाई शामिल करना बिल्कुल भी न भूलें। माना जाता है कि इन चीजों का भोग लगाने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और वह अपनी कृपा भक्तों पर सदैव बनाए रखते हैं। साथ ही गणपति बप्पा को गुड़, फल, श्रीखंड और छप्पन भोग अर्पित करें। इससे साधक को सभी तरह के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  • सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक कार्यों में नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति को नारियल का भोग जरूर लगाएं। मान्यता के अनुसार, इससे जातक को मनचाहा कार्यक्षेत्र प्राप्त होता है।

भोग मंत्र

इन चीजों का भोग लगाते समय निम्न मंत्र का जप करें। माना जाता है कि बिना मंत्र के जप के बिना प्रभु भोग स्वीकार नहीं करते हैं।

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।