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Kajari Teej 2024: कजरी तीज व्रत के दौरान दिन करें इस कथा का पाठ, मिलेगा मनचाहा जीवनसाथी

रक्षा बंधन के तीन दिन बाद कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार इस व्रत को सबसे पहले मां पार्वती ने किया था। कजरी तीज व्रत को कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं करती हैं। पूजा के दौरान कथा (Kajari Teej Vrat Katha) का पाठ करने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 20 Aug 2024 01:31 PM (IST)
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Kajari Teej 2024: कजरी तीज की व्रत कथा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kajari Teej 2024 Katha: कजरी तीज का पर्व भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। कजरी तीज के दिन कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर को पाने के लिए व्रत रखकर महादेव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। साथ ही व्रत कथा का पाठ करती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो साधक कजरी तीज व्रत के दौरान कथा का पाठ नहीं करता है, वह शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए इस दिन कथा का पाठ करना न भूलें। आइए पढ़ते हैं कजरी तीज (Kajari Teej Vart Katha) की व्रत कथा।

कजरी तीज 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Kajari Teej 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण की तृतीया तिथि की शुरुआत 21 अगस्त को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 22 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त को रखा जाएगा।

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कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत किया। व्रत के दौरान उसने अपने पति से सत्तू लाने को कहा। सत्तू के लिए ब्राह्मण के पास धन नहीं था। तो ऐसे में उसने चोरी करने का फैसला लिया। इसके बाद वह रात के समय दुकान में सत्तू लेने के लिए घुस गया। उसी दौरान दुकान के मालिक की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया और उसकी पत्नी सत्तू का इंतजार कर रही थी। वहीं, चांद निकल आया था।

जब दुकान के मालिक ने उसकी तलाशी ली, तो उसके पास से सत्तू मिला। ऐसे में ब्राह्मण ने सारी बात बता दी। उसकी बात को सुनकर मालिक को उसपर बेहद तरस आया और कहा कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी बहन के रूप में मानेगा। अंत में मालिक ने ब्राह्मण को मेहंदी, सत्तू, गहने और धन देकर विदा किया। इसके पश्चात सभी ने कजली माता की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।