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Kajri Teej 2024: कहीं आप तो नहीं कर रहे कजरी तीज पर ये गलतियां? वरना निष्फल हो सकता है व्रत!

कजरी तीज का त्योहार बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल सावन मास के कृष्ण पक्ष की तृतिया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह 22 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है इस व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही शिव-पार्वती का आशीर्वाद मिलता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 11 Aug 2024 11:27 AM (IST)
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कजरी तीज पर इन बातों का रखें खास ध्यान
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कजरी तीज का पर्व बेहद पावन माना जाता है। यह पुण्यदायी व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की तृतिया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कठिन व्रत का पालन करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है, जो लोग इस दिन विधिवत पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

साथ ही जीवन में शुभता आती है, तो आइए इस दिन (Kajri Teej 2024) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार है।

कजरी तीज पर इन बातों का रखें खास ध्यान

क्या करें?

  • कजरी तीज का व्रत समर्पण और आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।
  • इस दौरान पवित्रता के साथ सभी पूजा नियमों का पालन करें।
  • शरीर और मन को पवित्र रखें।
  • भोजन/पानी आदि से परहेज करें।
  • इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार जरूर करें।
  • ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • इस दिन गर्भवती महिलाएं व्रत छोड़ सकती हैं।

क्या न करें?

  • तेज धूप से बचने के लिए, घर के अंदर रहना अच्छा विचार है।
  • इस दिन सफेद और काले वस्त्रों को धारण न करें।
  • महिलाएं सात्विक तामसिक चीजों से दूर रहें।
  • इस शुभ दिन पर किसी से बहस या अपमान न करें।
  • इस दिन पति से झगड़ा और कलह-क्लेश करने से बचें।
  • व्रती महिलाएं इस दिन झाड़ू लगाने से बचें, क्योंकि इससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।

शिव-पार्वती पूजन मंत्र

1. है गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।

तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।

2. ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी

सकल स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं

3. हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

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