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Kalashtami 2023: दशकों बाद कालाष्टमी पर हो रहा है 'रवि पुष्य योग' का निर्माण, दूर होंगे सभी दुख और संताप

Kalashtami 2023 धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख संकट रोग दोष शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही यश कीर्ति आय और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो कालाष्टमी तिथि पर दुर्लभ रवि पुष्य योग समेत कई लाभकारी और अद्भुत संयोग बन रहे हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 02 Nov 2023 08:00 AM (IST)
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Kalashtami 2023: दशकों बाद कालाष्टमी पर हो रहा है 'रवि पुष्य योग' का निर्माण, दूर होंगे सभी दुख और संताप

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Kalashtami 2023: पंचांग के अनुसार, 05 नवंबर को कालाष्टमी है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख, संकट, रोग, दोष, शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही यश, कीर्ति, आय और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो कालाष्टमी तिथि पर दुर्लभ 'रवि पुष्य योग' समेत कई लाभकारी और अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 05 नवंबर को देर रात 12 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 06 नवंबर को देर रात 03 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।

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शुक्ल योग

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। शुक्ल योग का निर्माण 05 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 37 मिनट से लेकर 06 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट तक है। इस दौरान भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

सर्वार्थ सिद्धि योग

कालाष्टमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 10 बजकर 29 मिनट तक है। इस समय में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।

करण

कालाष्टमी पर बालव और कौलव करण का निर्माण हो रहा है। बालव करण का निर्माण दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक है। इसके बाद कौलव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष दोनों ही करण को शुभ मानते हैं। इन करणों में शुभ कार्य कर सकते हैं।  

रवि पुष्य योग

ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक महीने में पड़ने वाली कालाष्टमी तिथि पर दुर्लभ रवि पुष्य योग का निर्माण दशकों बाद होने वाला है। इस योग में हर एक शुभ कार्य कर सकते हैं। दिवाली की खरीदारी के लिए यह योग बेहद शुभ माना जाता है। अतः इस योग में खरीदारी भी कर सकते हैं। साथ ही काल भैरव देव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।