Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर इस विधि से करें काल भैरव की पूजा, सभी परेशानियों का होगा अंत
धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी पर विधिपूर्वक काल भैरव की उपासना करने से जातक को सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से जातक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा किस तरह करनी चाहिए?
धर्म डेक्स, नई दिल्ली। Kalashtami 2024: सनातन धर्म में कालाष्टमी व्रत बेहद कल्याणकारी माना जाता है। काल भैरव को अष्टमी तिथि समर्पित है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस अवसर पर भगवान शिव के सबसे उग्र स्वरूप काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है और फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग अर्पित किया जाता है।
कालाष्टमी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2024 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जून को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और 29 जून को दोपहर 02 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 28 जून को कालाष्टमी मनाई जाएगी। साधक 28 जून को व्रत रख काल भैरव देव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami Puja Vidhi)
कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद मंदिर की सफाई कर चौकी पर भगवान शिव की मूर्ति विराजमान करें। अब उन्हें बिल्व पत्र, फल और फूल आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें और काल भैरव चालीसा का पाठ करें। प्रभु के मंत्रों का जप करना भी फलदायी माना जाता है। इसके बाद सुख, समृद्धि और धन प्राप्ति की कामना करें। अंत में भोग लगाकर लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
घर पर काल भैरव देव की मूर्ति नहीं रखते हैं। अत: कालाष्टमी पर घर पर भगवान शिव की और मंदिर में काल भैरव देव की पूजा करते हैं।
कालाष्टमी पर करें इन मंत्रों का जाप
ओम भयहरणं च भैरव:
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा
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