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Kalashtami 2024: कालाष्टमी के दिन भूलकर भी न करें ये काम, वरना जीवन में मिलेंगे बुरे परिणाम

हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी होती है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मत है कि भगवान काल भैरव की पूजा-व्रत करने से साधक को जीवन के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है और सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस बारकालाष्टमी 4 जनवरी को है।

By Jagran News Edited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 29 Dec 2023 04:12 PM (IST)
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Kalashtami 2024: कालाष्टमी के दिन भूलकर भी न करें ये काम, वरना जीवन में मिलेंगे बुरे परिणाम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kalashtami 2024: सनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व है। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी होती है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मत है कि भगवान काल भैरव की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से साधक को जीवन के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है और सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस बार साल 2024 की पहली कालाष्टमी 4 जनवरी को है। कालाष्टमी के दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही है, जिनको करने से साधक का जीवन परेशानियों से भरा रहता है और भगवान काल भैरव रुष्ट हो सकतें हैं। चलिए जानते हैं कालाष्टमी के दिन कौन से कार्यों को करने बचना चाहिए।

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कालाष्टमी के दिन न करें ये कार्य

  • कालाष्टमी के दिन शराब को भूलकर भी नहीं पीना चाहिए और मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। बुजुर्गों और महिलाओं को गलत शब्द न बोलें।
  • भगवान काल भैरव की पूजा के लिए किसी का नाश न करें।
  • कालाष्टमी के दिन किसी पशु-पक्षी को परेशान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान काल भैरव नाराज हो जाते हैं।
  • इस दिन किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए।
कालाष्टमी का महत्व

हिंदू धर्म में कालाष्टमी पर्व का खास महत्व है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक बेहद धूमधाम से कालाष्टमी मनाते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से इंसान के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और सुख-शांति मिलती है और भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं। कालाष्टमी के अवसर पर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर समेत कई मंदिरों में भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है और भजन-कीर्तन किया जाता है।

भगवान काल भैरव मंत्र

ॐ ब्रह्म काल भैरवाय फट

ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि

ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा

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Author- Kaushik Sharma

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